
पटना। राज्य के पंचायतीराज व नगर निकायों के अंतर्गत विभिन्न ईकाइयों में कार्यरत शिक्षकों व पुस्तकालाभ्यक्षोंको पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधेश का उल्लंघन व कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 के प्रावधानों के अनुसार उनकी नियुक्त तिथि से ईपीएफ का लाभ नहीं देने को लेकरकर्मचारी भविष्य निधि संगठन के क्षेत्रीय आयुक्त, राज्य के मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव, निदेशक माध्यमिक शिक्षा एवं निदेशक प्राइमरी शिक्षा के विरुद्ध पटनाउच्च न्यायालय में अवमानना वाद दायर की गई है।
अवमानना वाद दायर करने वाले शिक्षकनेता सिद्धार्थ शंकर ने बताया कि पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अनिल कुमार उपाध्याय द्वारा दिनांक 17 सितंबर, 2019 को दिये गए अपने न्यायादेश में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के क्षेत्रीय आयुक्त को नियोजित शिक्षकोंको 60 दिनों के अंदर कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 के प्रावधानों का कड़ाई सेपालन करते हुए नियोजित शिक्षकों व पुस्तकानाध्यक्षों को ईपीएफ का लाभ देना सुनिश्चितकिया जाए।
मगर राज्य सरकार द्वारा पटना उच्च न्यायालयके न्यायाधेशव कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुएनियुक्त तिथि से ईपीएफ का लाभ न देकर 31 अगस्त, 2020 तक नियुक्त शिक्षकों व पुस्तकालाध्यक्षोंको 01 सितंबर, 2020 से तथा 31अगस्त, 2020 के बाद नियुक्त शिक्षकों व पुस्तकालाध्यक्षोंको उनकी नियुक्त तिथि से ईपीएफ का लाभ देने का आदेश जारी किया। साथ ही शिक्षा विभागके अधिकारियों ने शिक्षकों व पुस्तकालाध्यक्षों के नियुक्ति तिथि को भी ईपीएफ प्रपत्रमें 01 सितंबर, 2020 भरने का निर्देश जारी किया गया।
सीआरसीसीऔर बीआरपी हटाए गए।
मोतीपुर। बीईओ ने सोमवार को मनोनीत सभी बीआरपी और सीआरसीसी को दायित्व से मुक्त करते हुए अपने मूल विद्यायलयों में योगदान देने का निर्दश दिया है। बीईओ सचिदानन्द कुमार ने बताया कि तीन दिनों के अंदर योगदान करने का आदेश दिया गया है। बीआरपी आलोक कुमार, सीआरसीसी मुकुंद कुमार कथैया, मनोज कुमार कुआही, मनोज कुमार मोतीपुर, अरविंद कुमार सिंह नरियार, रंजीत कुमार श्रीसिया, पवन कुमार बिरहिमा बाजार समेत अन्य को पद से मुक्त किया गया है।