
राज्य के 80 हजार सरकारी स्कूलों में शौचालयों और पेयजल व्यवस्था समेत साफ-सफाई से जुड़ी शिकायते मिलती हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब स्कूलों में शौचालय व पेयजल समेत साफ-सफाई का जिम्मा प्रधानाध्यापक, विद्यालय प्रबंधन समिति और विद्यालय विकास समिति के जिम्मे होगा। नए सत्र से शौचालय और शुद्ध पेयजल प्रबंधन के लिए मेनटेनेंस पालिसी लागू होगी इसके लिए शिक्षा विभाग की ओर से नीति बनायी जा रही है। अब सरकार नई व्यवस्था के माध्यम से विद्यालयों में शौचालय और पेयजल के अलावा स्वच्छता पर सख्ती भी दिखाएगी। प्रधान शिक्षक व प्रधानाध्यापक के अतिरिक्त शिक्षक की भी जवाबदेही तय होगी। स्वच्छता के लिए हर साल विद्यालयों को पुरस्कार भी दिए जाएंगे। इसके पीछे एक बड़ा कारण रैंकिंग भी है क्योंकि अभी देश और प्रदेशभर में स्वच्छता के लिए स्कूलों की रैंकिंग चल रही है।
साफ-सफाई की निगरानी शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि प्रदेश के 90 हजार स्कूलों की साफ-सफाई व्यवस्था की निगरानी होगी। इस कार्य में विद्यालय प्रबंधन समिति का एक सदस्य, एक शिक्षक व एक विद्यार्थी प्रतिनिधि शामिल होगा। इन सदस्यों को रोज विद्यालय की साफ सफाईका अवलोकन करना होगा। इसके लिए अलग से एक रजिस्टर बनाना होगा, जिसमें रोजाना की सफाई की स्थिति को बताना होगा। अभिभावक भी विद्यालय में साफ-सफाई का जायजा लेंगे। वो भी रजिस्टर में कमेंट लिखेंगे। विद्यालय परिसर व कक्षा आदि की नियमित सफाई के लिए एक लाख रुपए से कम का खर्च किया जा सकेगा। इसमें शौचालय में पानी आदि की व्यवस्था के लिए टंकी और पानी की मोटर की भी व्यवस्था करनी होगी।
प्रस्तावित पालिसी की मुख्य बातें
1) शिक्षा अधिकारी, दो प्रधानाध्यापक, दो जूनियर इंजीनियर (सिविल व इलेक्ट्रिकल) स्कूलों का निरीक्षण करेंगे और रिपोर्ट सौंपेंगे
2) प्रधानाध्यापकों को हर माह यह रिपोर्ट अपलोड करनी होगी कि विद्यालय में शौचालय व पेयजल की व्यवस्था सुदृढ़ है।
3)शौचालय के सभी हिस्सों को जांच कर इस्तेमाल लायक बनाना एवं बच्चों के इस्तेमाल के लिए
खोलना
क) प्रत्येक शौचालय ब्लाक में एक बड़े आकार का ढका हुआ कूड़ेदान होना, जिसकी दिन में कम-से कम दो बार सफाई हो
ख) सभी शौचालय ब्लाक की नियमित रूप से एक दिन में दो बार की सफाई सुनिश्चित करना, जिससे वहां किसी तरह की बदबू न हो और बिना गंध वाली फिनायल का प्रयोग करना