
पटना। राज्य में कैरियर एडभांसमेंट प्रोन्नति योजना के तहत विश्वविद्यालय शिक्षकों को प्रोन्नति जल्द मिलेगी।
इससे संबंधित परिनियम जल्द लागू होने के आसार हैं है।
इस पर राज्य सरकार की अंतिम मुहर जल्द लगने वाली है।
विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को कैरियर एडभांसमेंट प्रोन्नति योजना के तहत प्रोन्नति के परिनियम का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए कुलपतियों की तीन सदस्यीय कमेटी गठित हुई थी। संशोधनों के बाद कमेटी द्वारा परिनियम के ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया गया। उसके बाद राजभवन ने पांच जुलाई को अपने पत्रांक 951 द्वारा इसकी अधिसूचना जारी की। लेकिन, परिनियम के तहत विश्वविद्यालय शिक्षकों को प्रोन्नति मिल पाती, उसके पहले ही राज्य सरकार ने राजभवन को पत्र भेज कर कहा कि उसके अनुमोदन - सहमति के पश्चात ही कैरियर एडभांसमेंट प्रोन्नति योजना से संबंधित परिनियम क्रियान्वित करने की काररवाई की जाय।
इस बाबत राज्यपाल सचिवालय के प्रधान सचिव को संबोधित पत्र शिक्षा विभाग के सचिव असंगबा चुबा आओ के हस्ताक्षर से राजभवन को भेजा गया। शिक्षा मंत्री के अनुमोदन के बाद कैबिनेट जायेगा प्रस्ताव था । पत्र में कहा गया था कि राजभवन के स्तर से राज्य के विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को कैरियर एडभांसमेंट जायेगा प्रोन्नति योजना के तहत प्रोन्नति संबंधी परिनियम का प्रारूप विभाग में सहमति हेतु प्राप्त है। उस पर राज्य सरकार का अनुमोदन सहमति प्राप्त करने की काररवाई प्रक्रियाधीन है। पत्र में अनुरोध किया गया था कि राजभवन के पत्रांक 951 (पांच जुलाई, 2022 ) द्वारा अधिसूचित परिनियम को राज्य सरकार से अनुमोदन - सहमति के पश्चात क्रियान्वित करने की कृपा की जाय । इसके साथ ही परिनियम पर राज्य सरकार की मुहर लगने की प्रक्रिया भी शुरू हुई। इस पर वित्त विभाग द्वारा अपने अनुमोदन की मुहर लगा दी गयी है ।
उसके बाद मंजूरी के लिए उसे कैबिनेट भेजने की तैयारी चल ही रही थी कि सरकार बदल गयी। नयी सरकार के गठन के बाद कैबिनेट भेजने के पूर्व प्रस्ताव नये शिक्षा मंत्री को भेजा गया। शिक्षा मंत्री के अनुमोदन के बाद उसे कैबिनेट भेजा आपको बता दूं कि परिनियम के दायरे में आने वाले राज्य के विश्वविद्यालयों में पटना विश्वविद्यालय, बी. आर. ए. बिहार विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, जयप्रकाश विश्वविद्यालय, भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मुंगेर विश्वविद्यालय, पूर्णिया विश्वविद्यालय, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, मौलाना मजहरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय, नालंदा खुला विश्वविद्यालय एवं आर्यभट ज्ञान विश्वविद्यालय शामिल हैं।
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पांच हजार शिक्षाकर्मियों को अनुदान का इंतजार
14 को राजभवन मार्च करेंगे शिक्षक-शिक्षकेतरकर्मी
संबद्ध कॉलेजों में नहीं पहुंची विश्वविद्यालय को 10 माह पहले मिली राशि
पटना। संबद्ध डिग्री कॉलेजों को रिजल्ट के आधार पर मिलने वाली अनुदान राशि राज्य सरकार द्वारा पिछले साल नवंबर माह में ही मगध विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराने के बावजूद अधिकांश कॉलेजों को अब तक नहीं मिली है। इससे इन कॉलेजों के तकरीबन पांच हजार शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी आर्थिक संकट के गंभीर दौर से गुजर रहे हैं।
बिहार राज्य संबद्ध डिग्री महाविद्यालय शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ (फैक्टनेब) के प्रवक्ता अरुण गौतम ने मंगलवार को बताया कि गया, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद, अरवल, पटना एवं नालंदा जिलों के तकरीबन 47 संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों के स्नातक शैक्षिक सत्र 2009-12, 2010 - 13, 2011-14 एवं 2012-15 की अनुदान राशि राज्य सरकार द्वारा नवम्बर 2021 में ही मगध विश्वविद्यालय को उपलब्ध करायी गयी, यह राशि विश्वविद्यालय ने अधिकांश कॉलेजों को नहीं दी है। इस बीच दर्जनों शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारी अर्थाभाव में समुचित इलाज नहीं होने के कारण दम तोड़ चुके हैं। शिक्षक-शिक्षकेतर कर्मचारियों और उनके आश्रितों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। संगठन का आरोप है कि जिन कॉलेजों राशि दी गयी है, उनसे चढ़ावा लिया गया है।
कॉलेजों को अनुदान राशि अविलंब उपलब्ध कराने की मांग को लेकर बिहार राज्य संबद्ध डिग्री महाविद्यालय शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ (फैक्टनेब) द्वारा चलाये जा रहे आंदोलन के तहत एक सितंबर को मगध विश्वविद्यालय में तालाबंदी की गयी। उसके पहले यहां पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के समक्ष धरना दिया गया। इसलिए कि मगध विश्वविद्यालय के कुलपति के प्रभार में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। अब, आंदोलन के अगले चरण में शिक्षक-शिक्षकेतर कर्मचारी 14 सितंबर को राजभवन मार्च करेंगे। महासंघ की मांगों में संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों का घाटानुदानित या अंगीभूतीकरण, स्थायी कुलपति की नियुक्ति, विश्वविद्यालय स्तर पर पदसृजन के मामलों का शीघ्र निपटारा, संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षाकर्मियों की शोध प्रवेश परीक्षा से मुक्ति शिक्षकों की शोध पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्ति, शैक्षणिक सत्र का नियमितीकरण, लंबित परीक्षाफल की घोषणा एवं उत्तीर्ण विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र दिया जाना भी शामिल है।