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समाधान यात्रा के दौरान नियोजित शिक्षकों ने मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन पूर्ण वेतनमान के साथ मिलें यह भी सुविधा

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शिक्षक संघ ने मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन
सासाराम
। मुख्यमंत्री सामाधान यात्रा के दौरान नेकरा में बिहार राज्य शिक्षक संघ प्रदेश इकाई ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौपा है। बिहार राज्य शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष जयप्रकाश सिंह ने कहा कि पूरे राज्य भर में नियोजित शिक्षकों के पास बहुत तरह की समस्याएं है। जिसे समाधान करने की कृपा करें ' शिक्षक संघ के मांगों में नियोजित शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना लागू करने, राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए, पूर्ण वेतनमान लागू किया जाय, एसएसए मद के बकाया राशि, एरियर सहित भुगतान कराया जाय आदि शामिल है। प्रदेश महासचिव बशीर आलम, प्रदेश उपाध्यक्ष लक्ष्मी राम, राहुल कुमार, संजय कुमार चौधरी, संजीत कुमार कुशवाहा, सरस्वती कुमारी, विनीता कुमारी वर्मा, अरुना सिन्हा, प्रदेश प्रवक्ता शंकर सुमन यादव, हामिद रेजा, प्रदेश मीडिया प्रभारी राशिद इमाम, शाहनवाज आलम, प्रदेश कोषाध्यक्ष नसीम अख्तर, मधु कुमार शामिल थे।

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वेंडर के जिम्मे चार प्रखंडों की एमडीएम सामग्री की आपूर्ति
1)मध्याहन भोजन योजना की गड़बड़झाला में जिला से लेकर प्रखंड तक के अधिकारी हैं शामिल
2)अकेले कोचस प्रखंड को दो करोड़ 25 लाख होते हैं।
3)आवंटित, दिनारा है सबसे बड़ा प्रखंड
करगहर।
प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में नामांकित छात्रों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के लिए पारदर्शिता के भले दावे किये जाते हों। लेकिन कोचस सहित चार प्रखंडों की विभिन्न विद्यालयों में पौष्टिक आहार की मात्रा बच्चों को कम, अधिकारियों व वेंडर को अधिक मिलती है।

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इसका ताजा उदाहरण है कोचस प्रखंड जहां पदस्थापित बीईओ की मेहरबानी से एक वेंडर को चार प्रखंडों की विभिन्न विद्यालयों में मध्याह्न भोजन सामग्री की आपूर्ति की जिम्मेवारी मिली है। जिम्मेवारी क्यों नहीं मिले, साहब का प्रभार चारो प्रखंडों में जो है।प्रधानाध्यापकों ने बताया कि कोचस में पदस्थापित बीईओ का प्रभार कोचस सहित दिनारा, दावथ व सूर्यपुरा प्रखंडों की है। उक्त  प्रखंडों की सभी प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में मध्याह्न भोजन सामग्री की आपूर्ति कोचस की एक वेंडर कंचन देवी पति राम कुमार राय द्वारा की जाती है। बताया कि साहब का जहां जहां प्रभार रहता है, वहां उक्त भेंडर द्वारा ही एमडीएम सामग्री की आपूर्ति कराई जाती है। बीईओ व मध्याह्न भोजन प्रभारी द्वारा  प्रधानाध्यापकों को डरा-धमकाकर उक्त वेंडर को कार्य सौंपा जाता है। उन्हें सामग्रियों की खरीदारी का कोरम पूरा करने को कहा जाता है।

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इस कार्य में प्रधानाध्यापकों को भी आपत्ति नहीं होती। क्योंकि वे मनमाफिक छात्रों की उपस्थिति दर्ज कर देते हैं। प्रत्येक माह भेजे गए उपस्थिति के आधार पर एमडीएम प्रभारी द्वारा खर्च का ब्यौरा निकालकर राशि वेंडर के बैंक खाते में भेजी जाती हैं एक शिक्षक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि वेंडर द्वारा चारों प्रखंड कार्यालयों में अपना कंप्यूटर ऑपरेटर बैठाया है। जो उक्त प्रखंड के विद्यालयों का हिसाब-किताब की देखरेख करता है।
महीने के दूसरे-तीसरे दिन प्रधानाध्यापक  वेंडर के कार्यालय पहुंचते हैं, जहां उनका राशि भुगतान किया जाता है। जिसमें से जिला से लेकर प्रखंड तक के अधिकारियों द्वारा राशि में बंदरबांट की जाती है। बताया कि प्रधानाध्यापक और एक शिक्षक एमडीएम की सामग्री खरीदारी में अधिकांश समय बिताते हैं। जिससे शैक्षणिक कार्य प्रभावित होता है। एमडीएम में व्यापक पैमाने पर अनियमितता और लूट की शिकायत वरीय पदाधिकारियों से की गई थी। लेकिन, उन्हें डराया गया।

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वहीं कई प्रधानाध्यापकों ने बताया कि कोचस क्षेत्र में स्थित प्राथमिक विद्यालयों में नामांकित छात्रों की संख्या 14 हजार तथा मध्य विद्यालयों में 11 हजार है। प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को मध्याह्न भोजन के लिए प्रतिदिन 5.45 रुपए, 100 ग्राम चावल तथा मध्य विद्यालय के छात्रों के लिए 8.17. रुपए व 200 ग्राम चावल तथा सप्ताह में 1 दिन 5 रुपए फल व अंडे के लिए दिये जाते हैं। प्रखंड में 25000 छात्रों को एमडीएम सामग्री की खरीदारी पर औसतन प्रतिदिन दो करोड़ 25 लाख रुपए आवंटित किए जाते हैं। इसके अलावा चावल अलग से शामिल है। एक बार में 60 करोड़ से अधिक राशि खर्च का ब्यौरा तैयार किया जाता है। यह स्थिति एक प्रखंड की है, जबकि सबसे बड़ा प्रखंड दिनारा, संझौली और सूर्यपुरा है। जहां वेंडर द्वारा नियुक्त कंप्यूटर ऑपरेटर रोकड़ बही दुरुस्त करने के लिए लगाए गए हैं।

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क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में बीईओ सरोज कुमार ने बताया कि उक्त वेंडर की नियुक्ति डीईओ द्वारा की गयी है। एमडीएम की देखरेख एमडीएम प्रभारी संतोष कुमार करते हैं। इस संबंध में एमडीएम प्रभारी संतोष कुमार ने बताया कि प्रखंड क्षेत्र की विभिन्न विद्यालयों में एमडीएम सामग्री आपूर्ति करने के लिए कोई वेंडर तैयार नहीं हुआ। मजबूरी में यह कार्य एक वेंडर को सौंपना पड़ा है।


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