
ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के आह्वान पर इस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी • यूनियन गया शाखा व रफीगंज उपशाखा के अधीन पड़ने वाले सभी रोड साइड के स्टेशनों पर सोमवार को यूनियन कार्यालय से एक रैली निकाली गयी है. वहीं, गया जंक्शन के मुख्य द्वार पर नेशनल पेंशन योजना के विरोध में व पुरानी पेंशन व्यवस्था की मांग को लेकर कर्मचारियों ने रोष पूर्ण विरोध प्रदर्शन प्रदर्शन के दौरान शामिल यूनियन अधिकारी व कर्मचारी. किया प्रदर्शन करते हुए कर्मचारियों ने बताया कि एक 1 जनवरी वर्ष 2004 के बाद नियुक्त सभी केंद्रीय व राज्य सरकार के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन व्यवस्था के जगह पर नयी पेंशन व्यवस्था को जबरन थोप दिया गया।
इसके कारण कर्मचारियों के बीच काफी असंतोष है. नयी पेंशन व्यवस्था के अंतर्गत कर्मचारियों के अंशदान मूल वेतन का 10 प्रतिशत व सरकार द्वारा दिया गया. कर्मचारियों के मूल वेतन का 14 प्रतिशत की राशि को प्रत्येक माह विभिन्न अलग-अलग एजेंसियों को सौंप दिया जाता है. इसमें 33 प्रतिशत राशि भारतीय स्टेट बैंक पेंशन स्कीम, 34 प्रतिशत के लगभग राशि भारतीय जीवन बीमा पेंशन स्कीम ए लगभग 33 प्रतिशत की राशि को यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया के तहत शेयर बाजारों में लगा दिया जाता है. इससे कर्मचारियों का पेंशन शेयर बाजार के भाव पर उतार- चढ़ाव के कारण अनिश्चित हो जाती है और वह राशि असुरक्षित हो जाती है. जबकि पुरानी पेंशन व्यवस्था में कर्मचारियों का अंशदान समय-समय पर भारत सरकार के द्वारा घोषित महंगाई राहत के द्वारा बढ़ोतरी होती है. सुरक्षित भी रहती है जो कर्मचारियों के बुढ़ापे में क्या कहते है?
केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष : इस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन गया शाखा केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष हाजीपुर कॉमरेड मिथिलेश कुमार ने बताया कि शाखा सचिव मुकेश सिंह व अध्यक्ष मधुर लाल मंडल के साथ सभी ऑफिस बीयरर, सीसीएम, डेलीगेट, शाखा पार्षद के अलावा हजारों रेल कर्मचारियों ने गया जंक्शन से लेकर देव रोड स्टेशन तक विरोध प्रदर्शन किया है। गया स्टेशन स्थित इस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन कार्यालय पर उपस्थित होकर सभी कर्मचारियों द्वारा एक जुलूस निकाल कर पिलग्रिम प्लेटफार्म से होते हुए एक नंबर प्लेटफार्म, पार्सल ऑफिस, पीए ऑफिस होकर गया • जंक्शन के मुख्य द्वार पोर्टिको के निकट सभा के रूप में तब्दील हो गयी. भारत सरकार रेल मंत्रालय हम लोगों का हक को छीन कर कर्मचारी विरोधी कार्य कर रही है. सभी कर्मचारियों को एनपीएस के विरोध में एकजुट होकर अपनी विरोध का आवाज बुलंद करना है. केंद्र सरकार को ओपीएस देने के लिए मजबूर करना एक बहुत बड़ा सहारा है. है. सरकार आदि मजदूर विरोधी कार्य को करना बंद नहीं करती है, तो आगे की रणनीति बनाकर संपूर्ण भारत वर्ष में रेल चक्का जाम करने का निर्णय लिया जाएगा।