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दो साल से तबादला का इंतजार कर रहे प्रारंभिक स्कूलों लगभग दो लाख शिक्षकों का तबादला का मौका जून और जुलाई में मिलेगा। हाईस्कूलों के शिक्षकों को तबादला के लिए अभी और इंतजार करना होगा। 6 ठें चरण के तहत 32714 शिक्षकों की बहाली का मामला अभी हाईकोर्ट में अटका है। हाईकोर्ट से आदेश मिलने और बहाली के बाद ही इनका तबादला होगा। तबादला के लिए सॉफ्टवेयर के माध्यम से इच्छुक शिक्षकों से आवेदन लिए जाएंगे। विभाग का लक्ष्य है कि गर्मी की छुट्टी में ही शिक्षकों की तबादला की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए, ताकि बाद में स्कूलों की पढ़ाई इस कारण बाधित नहीं हो।
पिछले दो साल से चल रहा इंतजार अब खत्म होगा
सभी डीईओ जिलावार, नियोजन इकाईवार, विषयवार, कोटि बार रिक्त पदों की सूचना वेब पोर्टल पर अपलोड करेंगे। जिस कोटि के शिक्षक हैं, उसी कोटि के लिए तबादला के लिए आवेदन कर सकेंगे। निगरानी जांच में फंसे वैसे शिक्षक तबादला के लिए आवेदन नहीं दे सकेंगे, जिनके सर्टिफिकेट की जांच नहीं हो सकी है। सेवाशर्त के आधार पर लगभग 3 लाख प्रारंभिक स्कूलों में नियोजित शिक्षक में से निगरानी जांच में फंसे लगभग 85 हजार शिक्षकों को आवेदन का मौका नहीं मिलेगा।
शिक्षिकाओं - दिव्यांग को मिलेगा ऐच्छिक तबादला
शिक्षिकाओं और दिव्यांग शिक्षकों को ऐच्छिक तबादला का लाभ मिलेगा। पुरुष शिक्षकों को अंतरजिला तबादला अंडरम्युचअल आधार पर होगा। अंतर नियोजन स्थानांतरण के अधिकतम लिए तीन विकल्प दे सकेंगे। कक्षा 1 से 5 तक के शिक्षक इसी कोटि में आवेदन कर सकेंगे।
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जून में प्रक्रिया पूरी होगी
शिक्षा विभाग का लक्ष्य है कि जून में शिक्षकों का तबादला हो जाए। प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो गई है। तबादला के लिए सॉफ्टवेयर तैयार कराया जा रहा है। सॉफ्टवेयर के माध्यम से पूरी पारदर्शिता से तबादला प्रक्रिया पूरी कराई जाएगी।
विजय कुमार चौधरी, शिक्षा मंत्री
विभागों में नियम की परवाह किए बिना हो रहा पत्राचार
सरकार के अधिकारियों को पता नहीं है कि पत्राचार के समय वे तय नियम का पालन नहीं करते हैं। इसमें बुनियादी नियम की अनदेखी रही है। हस्ताक्षर के मामले में तो और अराजक स्थिति बनी हुई है। बहुत कम अधिकारी स्पष्ट हस्ताक्षर करते हैं। योजना एवं विकास विभाग ने इसे गंभीरता से लिया है। अधीनस्थ कार्यालयों को कहा गया है कि इस मामले में वे बिहार अभिलेख हस्तक- 1960 (बिहार रिकार्डस मैन्युअल) का पालन करें।
योजना एवं विकास विभाग के संयुक्त सचिव रमेश कुमार ने पत्र में लिखा है कि विभिन्न क्षेत्रीय कार्यालयों के प्रधान और कई पदाधिकारी पत्राचार करते समय पत्र की मौलिकता का ध्यान नहीं रखते हैं। पत्र में प्रेषक अपना नाम नहीं लिखते हैं। केवल पदनाम का उपयोग करते हैं। यह बिहार अभिलेख हस्तक और बिहार सचिवालय अनुदेश- 1952 के नियमों का उल्लंघन है। अभिलेख हस्तक के नियम 191 में साफ लिखा है कि सरकारी पत्राचार में अधिकारी अपने पदनाम के अलावा नाम भी लिखेंगे। नाम, पदनाम के साथ कार्यालय का स्पष्ट पता लिखेंगे, ताकि पत्र की महत्ता को समझ कर जरूरी कार्रवाई की जा सके।
अस्पष्ट हस्ताक्षर भी गलत
आजकल बहुत कम सरकारी अधिकारी स्पष्ट हस्ताक्षर करते हैं। यह भी बिहार अभिलेख हस्तक के नियम के विरुद्ध है। हस्तक नियम-193 में साफ कि अधिकारी हस्ताक्षर के मामले में अतिरिक्त सावधानी बरतें। हस्ताक्षर साफ और आसानी से पढ़ने लायक हो। यह इसलिए कि किसी को हस्ताक्षर पर संदेह नहीं हो। व्यवहार में सरकारी अधिकारी इस नियम को लागू नहीं करते हैं। हस्तक में स्पष्ट रूप से पत्र पर तारीख और महीना के साथ वर्ष लिखने का भी प्रविधान है।