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• जर्मन सीखने से इंजीनियरिंग, टूरिज्म, हॉस्पिटैलिटी, एयरो फ्लाइट रिसर्च जैसे क्षेत्रों में छात्रों के लिए उच्च शिक्षा व रोजगार के अवसर खुलेंगे।
• छात्रों को टॉप यूनिवर्सिटीज में जाने का मिलेगा मौका
• छात्रों को दुनिया की टॉप कंपनियों से आंत्रप्रेन्योर स्किल्स सीखने में मिलेगी मदद।
सरकारी स्कूलों में छात्र अब जर्मन भाषा भी सीखेंगे। इसके लिए मंगलवार को दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन ने जर्मन दूतावास के सहयोग से गैर के लाभकारी जर्मन सांस्कृतिक एसोसिएशन गोएथे इंस्टीट्यूट मैक्समूलर भवन के साथ एक एमओयू साइन किया है। उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने भारत में जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडर के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। इस भागीदारी का मकसद दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को प्रोफेशनल रूप से तैयार करना है।
शिक्षा निदेशक व डीबीएसई एग्जीक्यूटिव काउंसिल के चेयरमैन हिमांशु गुप्ता, एससीईआरटी के निदेशक रजनीश कुमार, शिक्षा निदेशक के प्रधान सलाहकार शैलेंद्र शर्मा व गोएथे इंस्टीट्यूट मैक्समुलर भवन के क्षेत्रीय रीजनल डायरेक्टर ( साउथ एशिया) डॉ. बर्थहोल्ड फ्रैंक भी इस मौके पर उपस्थित रहे। सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार स्कूलों में पढ़ने वाले सभी छात्रों को ग्लोबल एक्सपोजर देने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि स्कूलों में शुरू किए गए विदेशी भाषा पाठ्यक्रम में से जर्मन वह भाषा है जिसे शुरुआती दौर में बच्चे सीखेंगे। उन्होंने कहा कि यह भागीदारी सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए नए रोजगार के साथ-साथ कई शैक्षणिक अवसर भी खोलेगी। भारत में जर्मन राजदूत वाल्टर जे लिंडन ने कहा कि दिल्ली सरकार के साथ यह पार्टनरशिप भविष्य में कल्चर म्यूजिक एजुकेशन सहित कई नए क्षेत्रों में पार्टनरशिप के मौके तैयार करेगी।
शिक्षा निदेशक हिमांशु गुप्ता ने कहा कि पायलट फेज में जर्मन भाषा कोर्स की पढ़ाई दिल्ली सरकार के 30 स्कूलों में शुरू की जाएगी। जिसमें स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस शामिल हैं।