
राष्ट्रीय शिक्षा नीति तहत मजबूत राज्य के छोटे स्कूल के
1) सभी 38 जिलो में ऐसे स्कूलों की पहचान की जाएगी।
2)शिक्षा अधिकारी पड़ताल करेंगे कि क्यों ये स्कूल रह गए छोटे।
3)राष्ट्रीय शिक्षा नीति जमीन पर उतारने को डीईओ को सौपे गए टास्क।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी ) 2020 के तहत बिहार के छोटे स्कूलों की पहचान की जाएगी। यह पहचान सभी 38 जिलों में होगी। छोटे स्कूल से तात्पर्य प्राथमिक तौर पर उन स्कूलों से होगा, जिनमें बच्चों का नामांकन (इनरॉलमेंट) कम है। साथ ही आधारभूत संरचना, वर्गकक्ष आदि के मामले में भी तंगहाल स्कूल चिह्नित किये जायेंगे। एनईपी के तहत ऐसे स्कूलों की सूरत बदली जायेगी।
दो दिन पूर्व ही शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जमीन पर उतारने को लेकर समझ विकसित करने के लिए राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया था। इस एक दिनी मंथन के अंत में सभी क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक (आरडीडीई) और सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) को अंत में सौंप गये कई टास्कों में से एक छोटे स्कूलों की पहचान करना भी है। ऐसे स्कूलों को चिन्हित किये जाने के बाद डीईओ की टीम आस-पास के लोगों से बात कर यह भी जानने की कोशिश करेगी कि आखिर यहां कम बच्चों के नामांकन क्यों हैं? पड़ोस के दूसरे स्कूलों का भी जायजा लिया जाएगा। जिला शिक्षा पदाधिकारियों को सबसे महती जिम्मेवारी एनईपी को जमीन पर उतारने को लेकर कार्यक्रम प्रबंधन इकाई गठित करने की दी गई है। यह यूनिट राज्य, जिला और प्रखंड स्तर तक बननी है। डीईओ को कहा गया है कि हर हाल में नवम्बर में कम से कम जिला स्तर पर पीएमयू गठित कर लें।
जानकारी मांगी गयी।
नयी शिक्षा नीति को जमीन पर उतारने में बिहार के एक जिले के सफल नवाचार को दूसरे जिले में धरातल पर उतारे जाने की तैयारी है। जिला शिक्षा पदाधिकारियों से कहा गया है कि वे अपने जिले के ऐसे सफल नवाचार की जानकारी बिहार शिक्षा परियोजना परिषद को दें जो दूसरे जिलों के लिए भी उदाहरण बन सकते हैं।
बेहतर स्कूल कैम्पस का डीईओ निरीक्षण करेंगे।
केन्द्रीय शिक्षा नीति को कार्यान्वित करने के लिए गठित की जाने वाली प्रोग्राम मैनेजमेंट यूनिट में एनजीओ और सिविल सोसाइटी को भी जोड़ने की अनुशंसा की गई है। इसके आलोक में सभी डीईओ को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने जिले में कार्यरत ऐसे स्वयंसेवी संगठन और सामाजिक संस्थाओं से संवाद स्थापित कर सहयोगी मानसिकता विकसित करें। हर हाल में सिविल सोसाइटी का सहयोग उन्हें सुनिश्चित करना होगा। बेहतर स्कूल कैम्पस का भी होईओ निरीक्षण करेंगे और शेष स्कूलों को भी उनके सरीखा बनाने की पहल की गई।