
कितने के पास नयी, तो कितने को पुरानी किताब पाठ्यपुस्तकों की उपलब्धता को लेकर शिक्षा विभाग लेगा वीकली रिपोर्ट।
पटना। राज्य में हर जिले के जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (पॉवरपसार यह सुनिचित करें कि उसी से के पाठ्यपुस्तकों के में आयें। में पाठ्यपुस्तकों की उपलब्धता को लेकर प्रमंडल स्तर पर क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक तथा जिला स्तर पर जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (एसएसए) से शिक्षा विभाग ने साप्ताहिक रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट में यह • जानकारी भी शिक्षा विभाग ने मांगी है कि कितने बच्चों ने नयी पाठ्यपुस्तकें खरीदीं और कितने पुरानी पाठ्यपुस्तकों से पढ़ रहे हैं। शिक्षा विभाग ने साप्ताहिक रिपोर्ट लेने के लिए हर हफ्ते सोमवार का दिन तय किया है।
प्रमंडल स्तर पर क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक द्वारा दी जाने वाली रिपोर्ट में जिले का नाम, 1ली से 8वीं कक्षा तक नामांकित छात्र- | छात्राओं की संख्या, नयी पाठ्यपुस्तकों वाले बच्चों की संख्या, पुरानी नयी पाठ्यपुस्तकों वाले बच्चों की संख्या, नयी पुरानी नयी पाठ्यपुस्तकों वाले बच्चों की संख्या तथा पाठ्यपुस्तकों वाले कुल बच्चों की संख्या का इसी प्रकार जिला स्तर पर जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारी एस एस ए द्वारा दी जाने वाली रिपोर्ट में पहली से आठवीं कक्षा के छात्र छात्राओं की पाठ्यपुस्तक बच्चों के नई पाठ्यपुस्तक एवं पुरानी पाठ्यपुस्तक वाले छात्र-छात्रा एवं नई पाठ्यपुस्तक वाले छात्र छात्रा का उल्लेख करना है इस बाबत शिक्षा विभाग के अपर मुख्यसचिव संजय कुमार द्वारा सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (एसएसए) निर्देश जारी किये गये हैं।
अपने निर्देश में अपर मुख्यसचिव ने कहा है कि विभिन्न स्त्रोतों से सूचना प्राप्त हो रही है कि सभी छात्र-छात्राओं द्वारा कर्णांकित पुस्तकों का क्रय नहीं किया जा रहा है। संभव है कि कुछेक छात्र-छात्राओं द्वारा आंशिक पुस्तकों का क्रय किया गया है। प्रत्येक वर्ग के लिए कर्णांकित सभी पुस्तकों की उपलब्धता प्रत्येक छात्र के ग्राह्य शिक्षा की गुणवत्ता के लिए प्राथमिक आवश्यकता है। इसीलिए, यह जानकारी विभाग के लिए अत्यधिक मायने रखता है। आपको बता दूं कि राज्य में तकरीबन 72 हजार सरकारी प्राइमरी मिडिल स्कूल हैं। इनमें तकरीबन 43 हजार स्कूल प्राइमरी हैं, जिनमें 1ली से 5वीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है। बाकी 29 हजार मिडिल स्कूल हैं, जिनमें पहली से आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है।