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उपर्युक्त विषयक, आप अवगत है कि पी०एम० पोषण योजना सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है। भारत सरकार शिक्षा मंत्रालय के द्वारा वर्तमान में मध्याहन भोजन योजना का नाम परिवर्तित कर प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पी०एम०पोषण), योजना कर दिया गया है।
सरकार द्वारा राज्य के सरकारी / सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में अध्ययनरत् बच्चों के पोषण सुदृढीकरण हेतु जल्द ही पी०एम० पोषण योजना प्रारंभ किया जाना है। विद्यालयों में पुनः भौतिक रूप से पी०एम० पोषण का संचालन किये जाने से पूर्व यह अति आवश्यक है कि सुरक्षा, स्वच्छता व गुणवत्ता मानकों का सख्ती से पालन किया जाय।
स्वास्थ्य, स्वच्छता और अन्य सुरक्षात्मक आयामों का पालन करने हेतु निम्नलिखित दिशा-निर्देश का अनुपालन किया जाना है:-
1. खाद्यान्न एवं खाद्यान्न सामाग्री की प्राप्ति (Procurement):-
• प्रखंड साधन सेवी राज्य खाद्य निगम से खाद्यान्न का उठाव करते (FAQ) सुनिश्चित करने के उपरान्त ही उठाव करेंगे।
• पी०एम० पोषण योजनान्तर्गत खाद्य सामाग्री का क्रय चयनित Vendor से ही किया जाना है। सामाग्री आपूर्ति करने वाले Vendor का भुगतान PFMS पोर्टल से किया जाना है। खाद्य सामाग्री तेल, मसाला, रिफाइंड, हल्दी, नमक इत्यादि डिब्बाबंद एवं गुणवत्तापूर्ण होना अनिवार्य है। डिब्बाबंद खाद्य सामाग्री के पैकेट पर Manufacture date एवं Expiry Date अंकित हो। आयोडिन युक्त नमक / डबल फोर्टिफाईड नमक का ही उपयोग किया जाना है।
• हरी सब्जी, आलू, चना / सोयाबीन / दाल ताजा एवं फंगस रहित होना अनिवार्य है।
2. खाद्य सामाग्रियों का भंडारण:-
• चावल का भंडारण विद्यालय में उपलब्ध स्टोरेजबीन में किया जाना है।
• स्टोरेजबीन नहीं रहने की स्थिति में वर्षा एवं नमी से सुरक्षित स्थान पर चावल भंडारण के लकड़ी या सिमेन्ट के स्लेब पर किया जाय।
• जिन डिब्बों में खाद्य सामाग्री का भंडारण किया जा रहा है उस डिब्बे की पूर्ण सफाई सुनिश्चित करके ही उपयोग किया जाय।
• पुराना / खराब / खुले तेल एवं मसाले का उपयोग वर्जित होगा।
3. पी०एम० पोषण तैयार करने से संबंधित सावधानियाँ:-
• भोजन तैयार करने से पूर्व रसोईया सह सहायक सफाई, पौष्टिकता एवं स्वच्छता सुनिश्चित करने हेतु अपना हाथ-पैर, मुँह साबुन से साफ कर सुखे कपड़ा से पोछ लें।
• सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से रसोईया सह सहायक केवल साफ ऍप्रन एवं सूती वस्त्र का ही उपयोग करेंगी। नाखून कटे हुए एवं बाल बंधे हुए होना चाहिए।
• विद्यालय अवधि के दौरान रसोईया पूरे समय मास्क का प्रयोग करेंगी। खाना बनाने के समय नेल पॉलिस, घड़ी, डिजाईनर चूड़ी, अंगूठी का प्रयोग वर्जित होगा।
• भोजन बनाने से पूर्व अच्छी तरह से हाथ धोया जाना होगा। साथ ही शौचालय के प्रयोग के उपरान्त अनिवार्य रूप से हाथ धुलाई की जानी होगी।
• रसोई-सह-भंडारगृह की विशेष साफ-सफाई, भोजन बनाने से पूर्व निरीक्षण कर सुरक्षा सुनिश्चित की जानी है।
• भोजन बनाने के पूर्व चावल, सब्जी एवं अन्य खाद्य पदार्थ को अच्छी तरह से घोकर साफ किया जाना होगा।
• भोजन पूर्णरूप से ढ़ककर पकाया जाय एवं पकने के पश्चात् इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखा जाय।
• रसोईया-सह-सहायक को खाना बनाते समय कुछ आदतों से बचना होगा जैसे नाक, आँख छुना, बालों में अंगुली चलाना, मुँह रगड़ना, शरीर खुजलाना।
• रसोई-सह-भंडारगृह की विशेष साफ-सफाई, भोजन बनाते समय भोजन बनने के बाद एवं परोसते समय निरीक्षण कर सुरक्षा सुनिश्चित की जानी है।
• सुरक्षात्मक आयामों का पालन रसोईया स्वयं भी करेंगी एवं बच्चों को भी पालन करने हेतु प्रेरित करेंगी।
• दैनिक आवश्यकता की वस्तुओं की वास्तविक तैयारी साफ-सफाई के साथ करेंगी।
• भोजन बनाने वाले स्थान को प्रतिदिन नियमित रूप से साफ करेंगी। साथ ही रसोईघर के दुर्गम स्थानों की भी सफाई करेंगी।
• भोजन बनाने वाले स्थान को प्रतिदिन नियमित रूप से साफ करेंगी। साथ ही रसोईघर के दुर्गम स्थानों की भी सफाई करेंगी।
• रसोईघर में निकास की व्यवस्था, खिड़कियां इत्यादि होनी चाहिए
4. भोजन वितरण के समय बरती जाने वाली सावधानियाँ:-
• बच्चों को भोजन परोसने से पूर्व रसोईया एवं शिक्षकों की निगरानी में 40 सेकेन्ड तक साबुन से हाथ धुलाई कराने की प्रक्रिया सही ढंग से करायी जानी है। इसी प्रकार भोजन खाने के उपरान्त भी यही प्रक्रिया अपनायी जानी है।
• जिन विद्यालयों में हाथ धुलाई की सुविधा हेतु नल (वाटर स्टेशन) उपलब्ध नहीं है, वहाँ सुविधाओं के पूरक के लिए बाल्टी एवं मग का उपयोग किया जा सकता है।
• विद्यालय में स्वच्छ जल की आपूर्ति सुनिश्चित किया जाय जल भंडारण हेतु साफ एवं स्वच्छ टंकी की व्यवस्था हो ताकि स्वच्छ जल का संग्रह किया जा सके। इसी स्वच्छ जल का उपयोग भोजन बनाने एवं पीने हेतु किया जाय।
• बच्चों के नाखून कटे हुए एवं साफ होना चाहिए।
• भोजन परोसे जाने वाले स्थान / बर्त्तन धुले एवं साफ हो।
• रसोईया द्वारा गरमा गरम भोजन बच्चों के बीच (लगभग 65 डिग्री सेल्सियस तापमान) का परोसा जाना है।
• बच्चों को मध्याहन भोजन वितरण करने वाले स्थान को पूरी तरह से सैनिटाईज किया जाना होगा।
• भोजन परोसते समय सामाजिक दूरी का पालन करवाते हुए बैठने वाले स्थान को चिन्हित कर रसोईया-सह-सहायक बच्चों के बीच भोजन वितरित करेंगे।
• भोजन बनाने के उपरान्त विद्यालय के प्रधानाध्यापक, शिक्षक एवं रसोईया के द्वारा नियमानुसार भोजन वितरण के आधे घंटे पहले भोजन को चखा जाना है। उसके उपरान्त ही भोजन बच्चों को परोसा जाय
5. भोजन वितरण के उपरान्त बरती जाने वाली सावधानियाँ:-
• भोजन वितरण के उपरान्त रसोई-सह-भंडार गृह की सम्पूर्ण सफाई किया जाना आवश्यक होगा ताकि खतरा न हो।
• भोजन बनाने में उपयोग में लाये जाने वाले कपडा, ब्रश, पोछा एवं अन्य सामाग्री साफ-सफाई अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि इनसे संक्रमण का खतरा अधिक है।
• अलमारी, बक्सा, काँच का सामान, ग्लास, बर्तन (बनाने परोसने एवं खिलाने) गर्म पानी से धोकर उसे धूप में सुखाकर अगले दिन उपयोग में लिया जायेगा।
• भोजन बनाने के उपरान्त बचे हुए अपशिष्ट (कचरा) का निपटान कुड़ेदान में किया जाना है। यदि संभव हो तो अपशिष्ट का भंडारण ढक्कन वाले कटेनर में होना चाहिए एवं अपशिष्ट पदार्थों का निपटान समय-समय पर होना चाहिए (वर्मी कम्पोस्टिंग जैसी पर्यावरण हितैषी उपायों को प्रोत्साहित किया जाना है)।
6 प्राथमिक उपचार (First Aid):-
• विद्यालय में यदि किसी प्रकार की अप्रिय घटना घटित होने पर चिकित्सा हेतु स्थानीय स्वास्थ्य केन्द्र एवं अस्पताल की सहायता लेनी चाहिए, साथ ही घटना की सूचना अविलम्ब स्थानीय थाना, प्रखंड एवं जिला स्तरीय पदाधिकारी को दें।
• सुरक्षा की दृष्टि से विद्यालय में थर्मामीटर एवं First Aid Box उपलब्ध रहना चाहिए।
• आपातकालिन स्थिति से निपटने हेतु विद्यालय के योग्य शिक्षकों का एक दल गठित किया जाय ताकि किसी अप्रिय घटना की स्थिति में तत्काल कार्रवाई के लिए कारगर हो विद्यालय के नोटिस बोर्ड / चाहारदिवारी पर स्थानीय थाना प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्रखंड विकास पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला पदाधिकारी का नाम एवं मोबाईल नम्बर प्रर्दशित होना चाहिए। साथ ही एम्बुलेन्स सेवा प्रदाता का नाम एवं नम्बर भी प्रदर्शित होना चाहिए।
7. अन्य सावधानियाँ :-
• विद्यालय परिवेश का प्रतिदिन साफ-सफाई किया जाना है।
• विद्यालय में कचड़े का प्रबंधन, पीने का साफ पानी की सुविधा, Disposable Mask इत्यादि की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी है। कचड़े का अंतिम सुरक्षित निपटान कुड़ेदान में ही किया जाना है, साथ ही कुडेदान भी साफ एवं ढका हो।
• विद्यालय में हाथ धोने की सुविधा (साबुन / हैडवास) उपलब्ध होने के बावजूद नामित शिक्षक या छात्र की निगरानी में 40 सेकन्ड तक हाथ धुलाई सुनिश्चित की जानी है।
• पी०एम० पोषण योजना के अन्तर्गत भोजन बनाने परोसने खाने के पूर्व एवं बाद सावधानियां बरती जानी है। उपयोग किये जाने वाले बर्त्तन, स्थान, शारीरिक साफ-सफाई का ध्यान अनिवार्य रूप से रखा जाना है।
• विद्यालय परिवेश में प्रवेश करते समय बच्चों को सेनिटाईज किया जाना सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग के • • द्वारा सुझाये गये मानकों के अनुरूप उपयुक्त सामाजिक दूरी का पालन करते हुए बैठने की व्यवस्था की जाय।
• यह व्यवस्था विद्यालय के शिक्षकों के बीच स्टॉफ रूम, कार्यक्षेत्र सार्वजनिक बातचीत के अन्य स्थानों में भी अपनाया जाना अनिवार्य होगा।
• यदि विद्यालय परिसर में खुला स्थान हो तो उसका उपयोग सामाजिक दूरी का पालन करते हुए कक्षाओं के संचालन हेतु किया जा सकता है।
• प्रार्थना सभा एवं स्वागत क्षेत्रों में भी सामाजिक दूरी का पालन किया जाना अनिवार्य होगा।