
पटना: बिहार में 92 हजार सरकारी विद्यालयों में शौचालय और शुद्ध पेयजल प्रबंधन के लिए पालिसी जल्द बनेगी क्योंकि पढ़ाई के साथ साथ स्वच्छता भी जरूरी है। प्रदेश भर के विद्यालयों में स्वच्छता और इसके प्रति जागरूकता हेतु यूनिसेफ से तकनीकी मदद दी जा रही है। एप से विद्यालयों में स्वच्छता की निगरानी भी की जाएगी। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने सोमवार को बिहार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार के लिए आयोजित राज्य स्तरीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए यह बात कही।
संजय कुमार ने दो दिवसीय कार्यशाला के पहले दिन 19 जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों समेत अन्य पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार प्रतिस्पर्धा में इस बार प्रदेश के स्वच्छ विद्यालयों की न सिर्फ इंट्री जानी चाहिए, बल्कि पुरस्कार भी जीतने चाहिए। स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार हेतु सात मानक तय किए गए है। ऐसे में इस्तेमाल नहीं होने से वह खराब हो जाता है। इससे पहले बिहार शिक्षा परियोजना परिषद (बीईपी) के राज्य परियोजना निदेशक श्रीकांत शास्त्री ने अतिथियों का स्वागत किया।
स्वच्छ विद्यालय के तय मानक व अंक।
सुरक्षित व पर्याप्त शुद्ध पेयजल की आपूर्ति पर 20 अंक, छात्रों छात्राओं हेतु अलग-अलग शौचालय के लिए 20 अक, साबुन से हाथ धुलाई पर 10 अंक, स्वच्छता सुविधाओं का प्रबंधन पर 20 अंक, स्थायी व्यवहार परिवर्तन के लिए संवाद हेतु 10 अंक, क्षमतावर्द्धन कार्यक्रम के लिए 10 अंक, सामुदायिक भागीदारी एवं सहयोग पर 10 अंक