
पटना । अनुकरणीय विद्यालय के रूप में चयनित जिले के सात स्कूल अपना मूल्यांकन खुद करेंगे । चयनित सातों स्कूलों द्वारा स्व मरूल्यांकन नीपा (दिल्ली) द्वारा विकसित ऑनलाइन पोर्टल 'शाला सिद्धि' पर - आंकड़ों की प्रविष्टि कर किया जायेगा | आंकड़ों की इंट्री संबंधित स्कूलों के प्रधान द्वारा की जायेगी। 'शाला सिद्धि' कार्यक्रम समग्र शिक्षा के तहत एक महत्वपूर्ण स्वीकृत गतिविधि है। आंकड़ों की इंट्री को लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी अमित कुमार की अध्यक्षता में 25 सितंबर चयनित सातों स्कूलों के प्राचार्यों की बैठक होनी है। इस बाबत सातों स्कूलों के प्राचार्य को निर्देश दिये गये हैं। जिले के सात चयनित स्कूलों में बांकीपुर राजकीय बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, शहीद राजेंद्र प्रसाद सिंह राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय (पटना हाई स्कूल ), देवीपद चौधरी स्मारक (मिलर) उच्च माध्यमिक विद्यालय, टी. के. घोष एकेडमी, सर गणेशदत्त उच्च माध्यमिक विद्यालय, श्रीगणेश उच्च माध्यमिक विद्यालय ( बख्तियारपुर) एवं आरएसएम रेलवे एडेड उच्च विद्यालय ( मोकामा घाट ) शामिल हैं।
शैक्षिक योग्यता का अंतर प्रोन्नति के लिए वैध आधार
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को प्रोन्नति में उचित उम्मीदवार के चयन को लेकर एक बेहद अहम फैसला दिया। शीर्ष अदालत ने कहा, समान श्रेणी के दावेदारों का वर्गीकरण करने के लिए शैक्षिक योग्यता वैध आधार है। ऐसा करने पर संविधान के अनुच्छेद 14 या 16 का उल्लंघन नहीं होता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि शैक्षिक योग्यता का उपयोग निश्चित श्रेणी के दावेदारों के लिए प्रोन्नति में आरक्षण व्यवस्था के लिए किया जा सकता है या प्रोन्नति को पूरी तरह एक श्रेणी तक सीमित करने में भी उपयोग हो सकता है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने कहा, वर्गीकरण में न्यायिक समीक्षा इस निर्धारण तक सीमित है कि वर्गीकरण उचित है या नहीं और उससे संबंधित है या नहीं, जिसकी मांग की गई थी।
कोर्ट वर्गीकरण के आधार के गणितीय मूल्यांकन में शामिल नहीं हो सकता। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के एक निर्णय को बरकरार रखा है, जिसमें कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के 3 जुलाई 2012 के एक सर्कुलर को वैध घोषित किया गया था। इस सर्कुलर में डिप्लोमा और डिग्रीधारक सब असिस्टेंट इंजीनियरों (एसएई) के लिए असिस्टेंट इंजीनियर (एई) पद पर प्रोन्नति की अलग-अलग शर्तें तय की गई थीं। शीर्ष अदालत ने कहा, यह मानते हुए कि केएमसी की अतिरिक्त पदों के लिए प्रोन्नति नीति तर्कहीन या मनमानी नहीं है और न ही इसकी मंशा डिप्लोमा धारक एसएई की हानि के लिए नहीं है। पीठ ने कहा, सार्वजनिक नीति और सार्वजनिक रोजगार के मामलों में, विधायिका या उसके प्रतिनिधि को अलग-अलग पदों पर नियुक्त करने वाले व्यक्तियों की गुणवत्ता तय करने के लिए पर्याप्त मौका देना चाहिए। न्यायालय को तब तक नीति के मामले में हस्तक्षेप से बचना चाहिए, जब तक ये निर्णय मनमाने नहीं होते।