
प्रदेश में वर्ष 2006 से 2015 के बीच नियुक्त तीन लाख 53 हजार 017 नियोजित शिक्षकों के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच पांच साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी है, नियोजन इकाइयों और शिक्षकों की लापरवाही के कारण अब भी करीब 53 हजार नियोजित शिक्षकों के फोल्डर नहीं मिले हैं, शिक्षा विभाग इन सभी शिक्षकों को सार्वजनिक नोटिस जारी करने जाता दरअसल, शिक्षा विभाग ने माना है कि दस्तावेज उपलब्ध न कराने की जवाबदेही सीधे शिक्षक की है. अब नियोजन इकाई नहीं, खुद शिक्षक को दस्तावेज जांच के लिए मुहैया कराने होंगे।
अभी-अभी अहम खबर आ रही है पीएफ सिस्टम में भारी बदलाव की तैयारी।
अगर ये शिक्षक अपने दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा पाते हैं तो माना जायेगा कि उनके दस्तावेज फर्जी हैं. अंत में उनकी नियुक्ति को अमान्य करने का प्रस्ताव बनाया जायेगा. वह अहम निर्णय शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को शिक्षा विभाग और निगरानी ब्यूरो के शीर्ष अफसरों की संयुक्त बैठक में लिया गया. सूत्रों के मुताबिक शैक्षणिक दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए वेव पोर्टल बनाया जा रहा यह सार्वजनिक होगा. इस वेव पोर्टल पर नियोजित शिक्षकों को अपने फोल्डर के सभी दस्तावेज अपलोड करने होंगे.।
यहीं से विभिन्न बोर्ड उन दस्तावेजों को लेकर उसकी वैधता की जांच कर लेंगे. सूत्रों के मुताबिक शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने निर्देश किया कि जांच को तेजी से पूरा करने की जरूरत है.। इसे अब हर हाल में पूरा करना होगा. बैठक में उम्मीद जाहिर की गयी कि मार्च तक जांच पूरी कर ली जायेगी. बैठक में निगरानी के एडीजी सुनील कुमार झा ने जांच की प्रगति और उसके दुविधाओं के बारे में बताया. उल्लेखनीय है कि निगरानी ब्यूरो को एक लाख तीन हजार 917 शिक्षकों के फोल्डर नहीं मिले थे. इसको लेकर शिक्षा विभाग ने सभी डीइओ के माध्यम से नियोजन इकाइयों को इन फोल्डरों की मांग की थी.।
इसके बाद इनमें से करीब 50 हजार फोल्डर विभाग को प्राप्त हुए, जिन्हें जांच के लिए पिछले दिनों निगरानी को सौंपा गया. लेकिन निगरानी ब्यूरो ने इन फोल्डरों को यह कहकर लौटा दिया कि इन के साथ मेरिट सूची संलग्न नहीं है. फिलहाल जिन शिक्षकों को नोटिस जारी होना है, उनकी पहचान कर उनकी जानकारी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को दी गयी है. बैठक में निगरानी के डीआइजी रवींद्र प्रसाद और एसपी सुबोध विश्वास आदि अफसर उपस्थित रहे.