
- मखाना की खेती का रकबा 13 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 35 हजार हेक्टेयर तक पहुंचा
- मिथिला मखाना को मिला जीआई टैग, अमेरिका तक हुआ निर्यात
- 25 हजार किसान मखाना उत्पादन से जुड़े, सरकार दे रही आर्थिक सहयोग
- 10 जिलों में मखाना उत्पादन योजना, अनुसंधान से गुणवत्ता में सुधार
पटना। बिहार सरकार के लगातार प्रयासों से मखाना उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। राज्य में मखाना को ‘सुपरफूड’ के रूप में पहचान मिलने के साथ ही अब यह अमेरिका जैसे विदेशी बाजारों तक पहुंच चुका है। राज्य के कॉम्फेड और कृषि विभाग के संयुक्त प्रयासों के चलते सुधा डेयरी ने मखाना का सफल निर्यात किया है।
वर्ष 2012 तक जहां बिहार में मखाना की खेती मात्र 13 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में होती थी, वहीं अब यह बढ़कर 35 हजार 224 हेक्टेयर हो गई है। यह संभव हुआ है मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत चलाई गई मखाना क्षेत्र विस्तार योजना से। इससे किसानों को न केवल आर्थिक लाभ हो रहा है, बल्कि उनकी कृषि तकनीकों में भी सुधार आया है।
सरकार ने मखाना उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मखाना विकास योजना की शुरुआत वर्ष 2019-20 में की। इस योजना के अंतर्गत दरभंगा स्थित मखाना अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित स्वर्ण वैदेही और सबौर मखाना-1 जैसे उन्नत बीजों का प्रयोग कर किसानों की उपज में भारी वृद्धि हुई है।
बिहार सरकार की योजना के अंतर्गत 10 प्रमुख जिलों में मखाना उत्पादन को विस्तार मिला है। इस पहल के तहत किसानों को भंडारण गृह निर्माण पर अनुदान दिया जा रहा है, जिससे वे अपने उत्पाद को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकें। साथ ही मखाना महोत्सव जैसे आयोजनों के जरिए मखाना के प्रचार-प्रसार में भी सहायता मिल रही है।
मखाना को 20 अगस्त 2022 को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग भी मिला, जिससे इसे ‘मिथिला मखाना’ के रूप में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। इस मान्यता से उत्पाद की मांग और कीमत दोनों में इजाफा हुआ है, जिसका सीधा लाभ किसानों को मिल रहा है।
वर्तमान में लगभग 25 हजार किसान मखाना उत्पादन से जुड़े हुए हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। मखाना उत्पादन न केवल किसानों की आय बढ़ा रहा है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था में भी अहम योगदान दे रहा है। बिहार अब इस ‘सुपरफूड’ के वैश्विक हब के रूप में उभर रहा है।