
- बीजेपी ने गैर-यादव ओबीसी और दलितों को संगठित करने की रणनीति बनाई है।
- 243 विधानसभा क्षेत्रों में जातीय सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे।
- बुद्धू नोनिया की जन्म शताब्दी पर विशेष जातीय कार्यक्रम का आयोजन।
- केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया।
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे करीब आ रहा है, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जातीय समीकरण साधने की योजना पर सक्रियता से काम शुरू कर दिया है। पार्टी अब उन समुदायों को साधने की कोशिश में है जो परंपरागत रूप से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के साथ माने जाते हैं। भाजपा की यह रणनीति विशेष रूप से गैर-यादव ओबीसी और दलित समुदायों को अपनी ओर आकर्षित करने की है।
भाजपा की इस रणनीति का मकसद सिर्फ वोटों की संख्या बढ़ाना नहीं है, बल्कि आरजेडी के कोर वोट बैंक में सेंध लगाने का भी है। पार्टी नेताओं का मानना है कि अगर यह रणनीति सफल होती है तो तेजस्वी यादव का यादव-मुस्लिम गठजोड़ कमजोर हो सकता है, जिससे आरजेडी को बड़ा नुकसान हो सकता है।
इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए भाजपा ने 243 विधानसभा क्षेत्रों में जातीय सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया है। इन सम्मेलनों के माध्यम से पार्टी हर जाति के लोगों से सीधा संवाद करेगी और उनके मुद्दों को प्राथमिकता देने का वादा करेगी। हाल के हफ्तों में भाजपा ने विभिन्न जातीय समूहों के साथ कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं।
आज पटना के गांधी मैदान स्थित बापू सभागार में शहीद बुद्धू नोनिया की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में एक बड़ा सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में विभिन्न वर्गों की उपस्थिति देखी गई, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि भाजपा अपनी नई रणनीति को लेकर पूरी तरह गंभीर है।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया और शहीद बुद्धू नोनिया को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भाजपा हर समाज के लोगों को साथ लेकर चलने में विश्वास रखती है और समावेशी राजनीति की पक्षधर है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भाजपा की यह रणनीति सफल होती है तो बिहार में चुनावी गणित पूरी तरह से बदल सकता है। आरजेडी को अपने परंपरागत वोटरों को बचाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, और तेजस्वी यादव के लिए यह चुनाव किसी बड़ी परीक्षा से कम नहीं होगा।