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बिहार चुनाव 2025: लालू यादव की नई रणनीति से नीतीश कुमार का समीकरण बिगड़ा, जानें एमवाई-अतिपिछड़ा प्लान

बिहार चुनाव 2025: लालू यादव की नई रणनीति से नीतीश कुमार का समीकरण बिगड़ा, जानें एमवाई-अतिपिछड़ा प्लान

मुख्य बिंदु:

  • राजद ने 2025 चुनाव में एमवाई समीकरण के साथ अति पिछड़ा वर्ग को जोड़ने की रणनीति अपनाई।
  • मंगनी लाल मंडल को प्रदेश अध्यक्ष पद देकर नीतीश के वोट बैंक पर चोट की कोशिश।
  • मुकेश सहनी को विशेष महत्व देकर निषाद समाज को आकर्षित करने की योजना।
  • नीतीश कुमार के पुराने सामाजिक गठजोड़ को तोड़ने की लालू यादव की नई चाल।

पटना: बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। राजद ने 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले एक नई रणनीति बनाई है, जिससे एनडीए को सत्ता से हटाया जा सके। इस रणनीति के तहत लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में महागठबंधन ने अति पिछड़ा वर्ग को जोड़ने की बड़ी योजना पर काम शुरू कर दिया है।

राजद ने मंगनी लाल मंडल को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की तैयारी कर ली है। मंडल धानुक जाति से आते हैं और अति पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। राजद का यह कदम केवल सामाजिक समीकरण बदलने के लिए नहीं है, बल्कि इससे नीतीश कुमार के कोर वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश भी की जा रही है।

लोकसभा चुनाव 2024 में भी राजद ने यह प्रयोग आजमाया था और शाहाबाद जैसे क्षेत्रों में एनडीए को कमजोर करने में सफलता पाई थी। अब विधानसभा चुनाव में भी वही प्रयोग बड़े स्तर पर दोहराया जाएगा। मंगनी लाल मंडल की नियुक्ति इसी योजना का हिस्सा मानी जा रही है।

वहीं, मुकेश सहनी को भी राजद में विशेष महत्व दिया गया है। सहनी निषाद समुदाय से आते हैं और वीआईपी पार्टी के नेता हैं। उन्हें बार-बार उपमुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट किया जा रहा है। साथ में हेलीकॉप्टर यात्रा और आम कार्यक्रमों में लालू परिवार के साथ देखा जाना इस बात का संकेत है कि राजद निषाद वोट को भी साधना चाहता है।

नीतीश कुमार की राजनीति अब तक कुर्मी, कुशवाहा और धानुक जातियों की एकजुटता पर आधारित रही है। लेकिन अब मंगनी लाल मंडल जैसे नेताओं को साथ लाकर राजद इस सामाजिक गठजोड़ को तोड़ने की कोशिश कर रहा है। यह कदम राजद को यादव-मुस्लिम समीकरण से बाहर निकल कर एक व्यापक सामाजिक समर्थन देने की दिशा में ले जा रहा है।

बिहार में जातीय राजनीति लंबे समय से चुनावी नतीजों पर प्रभाव डालती रही है। अब जब राजद ने अति पिछड़ा कार्ड खेला है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार और एनडीए इस चुनौती का जवाब कैसे देते हैं।


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