
शिक्षकों को मिलेगी सेवा में प्रोन्नति
पटना। जिले के सभी राजकीयकृत प्राथमिक और मध्य विद्यालय के जिला संवर्ग में कार्यरत, सेवानिवृत्त और मृत शिक्षकों को एमएसीपी 2010 (सुनिश्चित वित्तीय उन्नयन योजना) का लाभ दिया जाएगा। अभी तक यह लाभ राज्यकर्मी को ही मिलता था, लेकिन अब शिक्षकों और प्राचार्यो को भी मिलेगा। पटना जिला शिक्षा पदाधिकारी अमित कुमार ने बताया कि इसका लाभ एक जनवरी 2009 शिक्षक पद पर नौकरी करने वाले शिक्षकों को मिलेगा। यानी जो शिक्षक द वर्ष, 20 वर्ष और 30 वर्ष तक सेवा करते हैं तो उन्हें सेवा में प्रोन्नति दी जाएगी।
नहीं पता चल रहा, कहां गए दो सौ करोड़
पटना : शिक्षा विभाग ने विभिन्न योजनाओं में अनुदान के रूप में दो सौ करोड़ रुपये जिलों को दिया था उसका हिसाब नहीं मिला ^ है। इसपर महालेखाकार कार्यालय ने कई बार आपत्ति दर्ज की है और आवश्यक कार्रवाई हेतु वित्त एवं शिक्षा विभाग को लिखा है। रोचक यह है कि शिक्षा विभाग ने उक्त अनुदान की राशि की जानकारी लेने के लिए कई बार जिलों को निर्देश दिया, लेकिन जिले के अफसरों से अनुदान की राशि के बारे में अब तक पता नहीं चला। इसे गंभीरता से लेते हुए माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने 15 दिनों की मोहलत 28 जिला शिक्षा अधिकारियों को दी है।
निदेशालय का कहना है कि यदि हिसाब नहीं मिला तो संबंधित जिला शिक्षा अधिकारियों पर वित्तीय अनियमितता का मामला संबंधी प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी और सख्त कार्रवाई भी होगी।
माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के अनुसार, सबसे ज्यादा 40 करोड़ रुपये का मामला मधुबनी जिले से जुड़ा है, जहां से आवंटित राशि का हिसाब नहीं मिला। पटना जिले में 20 करोड़ रुपये का मामला लंबित है। गोपालगंज जिले में 31 करोड़ रुपये, बक्सर में एक करोड़ 15 लाख रुपये, औरंगाबाद में दो करोड़ 56 लाख रुपये, बेगूसराय में दो करोड़ 49 लाख रुपये तथा मुजफ्फरपुर में एक करोड़ 64 लाख 87 हजार रुपये का हिसाब नहीं मिला है, जबकि 18 माह में आवंटित राशि का इस्तेमाल का पूरा ब्योरा देना जरूरी है।
मुख्यमंत्री पिछड़ा एवं अति पिछड़ा मेधावृत्ति योजना, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति मेधावृत्ति योजना, प्रोत्साहन योजना और मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के मद में 200 करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं मिलने से महालेखाकार कार्यालय ने भी आपत्ति प्रकट की है। हाल में मुख्य सचिव के स्तर से समीक्षा बैठक में इस मामले में आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था। निदेशक मनोज कुमार ने जिला शिक्षा अधिकारियों और जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (लेखा) को आगाह किया है कि खर्च राशि का हिसाब नहीं देने वालों पर वित्तीय अनियमितता का मामला दर्ज कर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।