
1)पहले प्रशिक्षण उत्तीर्णता या उच्च योग्यता के आधार पर मिलता था लाभ।
2)नियुक्ति तिथि से मिलेगा वरीय वेतनमान का लाभ।
3)जिले के सैकड़ों शिक्षकों को मिल सकता है फायदा, शिक्षकों में खुशी की लहर, अन्य जिलों के शिक्षकों को भी मिलेगा इसका लाभ।
बक्सर शिक्षकों को वरीय वेतनमान का लाभ अब नियुक्ति तिथि में मिलेगा उच्च न्यायालय ने एक मामले में इस तरह का आदेश दिया है। इसमें आपेशिक्षित उच्च योग्यताधारी शिक्षकों में खुशी की लहर है। उक्त मामले ये न्यायालय ने जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना को 60 दिनों के अंदर न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए भुगतान का आदेश दिया है।पिछले दिनों वरीय वेतनमान को लेकर सुनील कुमार फैयारी समेत तीन शिक्षक धीरेंद्र प्रताप सिंह एवं अवधेश कुमार राय ने कोर्ट में मामला दायर किया था कि उन्हें नियुक्ति तिथि मिल सकता है। से वरीय वेतनमान का लाभ मिलना चाहिए। जबकि विभाग अब तक उन्हें प्रशिक्षण उत्तीर्णता या उच्च योग्यता आधार पर इसका लाभ दे रहा था कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए अन्य जिलों के शिक्षक भी होंगे लाभान्वित
उच्च न्यायालय ने सुनील केशरी, धीरेन्द्र प्रताप सिहे एवं अवधेश कुमार राय बनाम बिहार सरकार के मामले में जो फैसला सुनाया है, उसका लाभ केवल जिले के ही शिक्षकों को ही नहीं मिलेगा अपितु इसका लाभ प्रदेश के अन्य जिलों के शिक्षक भी ले सकते है। न्यायालय के इस आदेश को आंधार बनाकर अगर शिक्षक कोर्ट में केस फाइल करते है तो उन्हें भी नियुक्ति तिथि से वेतनमान का लाभ मिलेगा ।
सुनील कुमार केशरी के पक्ष में फैसला सुनाया और विभाग को आदेश दिया कि साठ दिनों के अंदर उन्हें नियुक्ति तिथि से वरीय वेतनमान का लाभ देते हुए भुगतान करे। बताया जाता है कि इससे अन्य शिक्षकों में भी खुशी की लहर है। क्योंकि, अन्य शिक्षक भी अगर कोर्ट के इस आदेश को आधार बनाकर उसको शरण में जाते हैं तो उन्हें भी इसका लाभ मिलेगा। श्री केशरी ने बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद अब 1994-99 एवं 2000 एवं अनुकंपा सहित सभी अप्रशिक्षित उच्च योग्यताधाये शिक्षकों को लाभ मिलेगा।
कुलपति के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी।
मगध विश्वविद्यालय में ओएमआर शीट, प्रश्न पत्र की छपाई और ई-बुक्स की खरीदारी में 20 करोड़ रुपये के घोटाले में निगरानी के विशेष जज मनीष द्विवेदी की अदालत ने शनिवार को तत्कालीन कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. मामला भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, आइपीसी की धारा 120 (बी), 420 सहित अन्य अधिनियम के अंतर्गत दर्ज किया गया था. निगरानी ने प्राथमिक जांच में पाया कि ओएमआर शीट, प्रश्न पत्र एवं ई-बुक्स की खरीदारी का ठेका आरोपितों ने नियम-कानून को ताक पर रखकर अपने चहेतों को दिया था. अधिवक्ता आनंदी सिंह ने बताया कि कुलपति डा. राजेंद्र प्रसाद की अग्रिम जमानत याचिका पटना उच्च न्यालय में खारिज की जा चुकी है. कुलपति इस मामले के मुख्य आरोपी हैं।