
पटना। राज्य में प्रस्वीकृत एवं स्थापना की अनुमति प्राप्त 715 माध्यमिक विद्यालयों तथा उसके शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारियों की समस्याएं शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने सुनीं। प्रधान सचिव ने पूरी बात सुनने के बाद आश्वस्त किया कि समस्याओं के निराकरण की दिशा में पहल की जायेगी।
प्रधान सचिव के साथ शनिवार को हुई वार्ता में बिहार प्रदेश माध्यमिक शिक्षक-शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ के प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें बताया कि 715 पंचायतों में अवस्थित ये स्कूल हर साल तकरीबन सात लाख वैसे बच्चों को माध्यमिक कक्षाओं की नि:शुल्क शिक्षा दे रहे हैं, जिनकी पहुंच सरकारी स्कूलों तक नहीं है।
सरकार द्वारा तय मानकों के तहत स्थापित इन स्कूलों के पास 3400 एकड़ जमीन हैं, जो राज्यपाल के नाम से निबंधित हैं । भवन, उपस्कर, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, सुरक्षा एवं सामान्य कोष के साथ इन स्कूलों के पास तकरीबन 68 अरब की परिसम्पत्ति है । इनमें कार्यरत 8580 शिक्षक-कर्मियों में 1449 सामान्य कोटि के, 2897 अतिपिछड़ी जातियों के, 2620 पिछड़ी जातियों के, 1535 अनुसूचित जाति के एवं 79 अनुसूचित जनजाति के हैं ।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल महासंघ के प्रांतीय संयोजक राजकिशोर प्रसाद 'साधु', अध्यक्ष अरुण कुमार पप्पू एवं महासचिव अरुण कुमार ने इन विद्यालयों को छात्र- छात्राओं के मैट्रिक के रिजल्ट पर सरकार शिक्षक-कर्मियों के भुगतान के लिए अनुदान देती है। अनुदान के रूप में सरकार हर वर्ष 93 करोड़ रुपये खर्च करती है । इन स्कूलों के सरकारीकरण से शिक्षक कर्मियों के वेतन पर मात्र 17 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्ययभार पड़ेगा। प्रतिनिधिमंडल ने इन स्कूलों के सरकारीकरण के साथ ही संबंधित 715 पंचायतों में मिडिल स्कूल को हाई स्कूल के रूप उत्क्रमित नहीं करने तथा 2009-2010 से अब तक के बकाये अनुदान के भी भुगतान की मांग की।