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1 नई पेंशन योजना नहीं बन पा रही बुढ़ापे का सहारा
2 लाखों शिक्षक-कर्मवारी भविष्य को लेकर चिंतित
सालों तक नौकरी करने के बाद किसी शिक्षक के रिटायरमेंट के बाद मासिक पेंशन के रूप में मात्र 1782 रुपएबननेकी खबर मिले तो आश्चर्य होना स्वभाविक है किन्तु नई पेंशन योजना से ऐसा हो रहा है. हाल ही में रिटायर हुई एक शिक्षिका का अंतिम वेतन 50,640 रुपए था. नई पेंशन योजना लागू होने के बाद उनको मासिक पेंशन राशि 782 रुपए मिली है. ऐसेमेंउक्तशिक्षिका अबबूढ़ापेमें भविष्य को लेकर चिंतित है.
देश में 2004 के बाद नई पेंशन व्यवस्थालागूकरदी गईहै.शेयर बाजार पर आधारित नई पेंशन योजना के समस्त कर्मचारी और शिक्षक चिंतित हैं. नई योजना से होने वाले आर्थिक नुकसान सामने आ रहे हैं. जून में बिलासपुर जिले के अंतर्गत शासकीय पूर्व माध्यमिक स्कूल मोपका में पदस्थ शिक्षिका श्रीमती मीरा तिवारी रिटायर हुई. एनपीएस कटौती के तहत उनके प्रान नंबर में 3,64,132 रुपए जमा हुए थे. इस योजना के तहत 60 फीसदी राशि का नगद (2,21,401 रुपए) भुगतान हुआ. वहीं 40 फीसदी राशि शेयर मार्केट में लगने के बाद मासिक पेंशन के रूप में 782 रुपए हाथ में आए.
जबकि श्रीमती तिवारी अंतिम वेतन 50,640 रुपए था. पेंशन राशि देखकरवे अचंभितरहगई. पुरानी पेंशन योजनालागूहोती तोपेंशनराशिन्यूनतम 28 हजार रुपए तय होती. नई पेंशन योजना कर्मचारियों के लिए अभिशाप बन गई है. पेंशन राशि को ही कर्मचारी बूढ़ापे का सहारा मानती रही लेकिन अबनई व्यवस्थासेवहसहारा भी छिन गई है. नई पेंशन योजना ने समस्त कर्मचारियों एवं शिक्षकों तथा उनके परिवार को चिंता में डाल दिया है.
पुरानी पेंशन योजना लागू करने संघर्ष
नई पेंशन योजना का विरोध तथा पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के माध्यम से लगातार संघर्ष जारी है. संयुक्त मोर्चा के प्रदेश संयोजक संजय शर्मा, सह संयोजक सुधीर प्रधान समेत अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि एक देश-एक विधान-एक निशान की बात की जा रही है तो 2004 के बाद अभी भी नेताओं के लिए पुरानी पेंशन तथा कर्मचारियों के लिए नई पेंशन व्यवस्था क्यों? नई पेंशन योजना से बूढ़ापे का सहारा छिन गया है.