
कोरोना से अब तक 12 शिक्षकों की मौत के बाद पूरे शिक्षक समुदाय में दहशत है। संक्रमण के खतरे को देखते हुए बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष बृजनंदन शर्मा ने अविलंब स्कूलों में शिक्षक और शिक्षिकाओं की उपस्थिति की बाध्यता को खत्म करने की मांग की है। कहा है कि शिक्षिकाओं और दिव्यागों को सरकार घर के बगल वाले स्कूल में हाजिरी बनाने की छूट दे। वहीं, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा के शिक्षक संघ ने कुलपति को पत्र लिखकर वर्क फ्रॉम होम की मांग की है।
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30 लाख रुपए और सरकारी नौकरी की मांग
उन्होंने सरकार से मांग की है कि आपदा के इस समय में शिक्षक और शिक्षिकाओं को आवास के बगल के स्कूल में उपस्थिति दर्ज करने का आदेश दिया जाएं। विशेषकर महिला और दिव्यांग शिक्षकों के लिए यह व्यवस्था अविलंब लागू की जाए। उन्होंने कोरोना से मृत शिक्षकों के आश्रितों को 30 लाख रुपए की अनुग्रह राशि और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग भी की है।
2020 में हुए लॉकडाउन वाली व्यवस्था देने की मांग
बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार ने पत्रकारों को बताया कि उनकी जानकारी में अब तक एक दर्जन से ज्यादा शिक्षकों की मौत कोरोना से हो चुकी है। 15 से 20 शिक्षक परिवार कोरोना की चपेट में हैं। उन्होंने कहा कि 2020 में जब लॉकडाउन हुआ था, उस समय सरकार ने दिव्यांग और महिला शिक्षकों को घर के पास वाले स्कूल में हाजरी बनाने का निर्देश दिया था। इस बार भी कोरोना की स्थिति भयावह होती जा रही है, इसलिए इस बार भी यह राहत दी जाए। स्कूल आने-जाने के क्रम में शिक्षक को कोरोना हो रहा है और उससे उनके पूरे परिवार में फैल रहा है।
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने भी बताई है परेशानी
प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद कहते हैं कि सरकार अपनी सुविधा से नियम बना रही है। जब स्कूल में छात्र नहीं आ रहे हैं तो शिक्षक का क्या काम? आखिर जो बाहर निकल रहा है वो अंत में घर तो जा ही रहा है। ऐसे में वो कोरोना तो अपने घर ही ले जा रहा है। एसोसिएशन ने पहले ही सरकार से हर शिक्षक और स्कूल कर्मचारी को 10 हजार रुपए प्रतिमाह और 50 किलो अनाज प्रतिमाह देने की मांग की है।
VKSU शिक्षक संघ ने कुलपति को लिखी चिट्ठी
कोरोना का डर इस बार लोगों को ज्यादा सता रहा है। इस बार कोरोना के लहर से मौतें भी ज्यादा हो रही हैं। हालांकि बिहार सरकार ने सभी कार्यालयों के लिए 33 फीसदी कर्मियों को ही आने का निर्देश दिया है। इसके बावजूद जो कर्मचारी दफ्तर आ रहे हैं वो इस बात से परेशान हैं कि कहीं वो संक्रमित ना हो जाएं। खासतौर पर उन शिक्षकों को परेशानी हो रही है, जिनके स्कूल या कॉलेज तो बंद हैं, लेकिन उनको स्कूल/ कॉलेज बुलाया जा रहा है। अब ये कर्मचारी सामने आकर तो नहीं कुछ बोल रहे हैं, लेकिन उनके संगठन के लोग वर्क फ्रॉम होम के लिए आवाज उठाने लगे हैं।
संक्रमण से पुलिस की मौत पर तत्काल एक करोड़ दे सरकार
वहीं, बिहार पुलिस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि इस बार कोरोना का लहर बहुत खतरनाक है। पुलिस फ्रंट वारियर्स होते हैं। हर खतरा से खेलना इनका कर्तव्य होता है। लेकिन इस स्ट्रेन ने कम उम्र के लोगों की जान ली है। ऐसे में सिर्फ पुलिस ही नहीं, ऐसे जो भी फ्रंट वारियर्स हैं, उनको लेकर सरकार को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। यदि, इस संक्रमण से उनकी मौत होती है तो उन्हें तत्काल सहायता के लिए एक करोड रुपए दे।