
पटना. कोविड संक्रमण के दौर में प्रभावित चालू वित्तीय वर्ष में केंद्र से निर्धारित बजट राशि नहीं मिल पा रही है. अब तक करीब 50 फीसदी राशि ही बिहार को दी है. अगर केंद्र ने जल्दी ही अपना केंद्रांश जारी नहीं किया, तो सर्व शिक्षा अभियान और दूसरे मदों में संचालित किये जाने वाले कार्यों के संचालन बाधा पहुंच सकती है. हालांकि, राज्य सरकार किसी तरह शिक्षकों की सैलरी के लिए राज्य योजना से पैसे दे रही है।
आखिरकार शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी को नियोजित शिक्षकों की बात माननी ही पड़ी होगी समस्या खत्म।
फिलहाल शिक्षा विभाग ने बजट की शेष राशि केंद्र को पत्र लिखकर मांग की है. फिलहाल केंद्र से मिले राज्यांश के आधार पर अक्तूबर तक की प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षकों को सैलरी दी जा चुकी है. शेष महीनों की सैलरी के लिए राज्य अपनी ओर से प्रयास कर रहा है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक आगामी महीनों की सैलरी के लिए केंद्र से राशि मांगी गयी है. बिहार शिक्षा परियोजना ने शेष रह गयी राशि के लिए हाल ही में एक पत्र लिखा है।
सर्व शिक्षा अभियान और दूसरे मदों के लिए उसे अब पैसे की जरूरत पड़ रही है. सूत्रों के मुताबिक बिहार के लिए केंद्र से इस साल सर्वशिक्षा अभियान और दूसरे मदों जिनमें सैलरी भी शामिल है, के लिए कुल 3800 करोड़ का बजट स्वीकृत किया था। वित्तीय वर्ष में करीब दस माह बाद अब तक शिक्षा विभाग को केवल 1941 करोड़ रुपये मिले हैं. शेष1859 करोड़ की राशि बाकी है।
बजट में कमी को कुछ इस तरह समझा जा सकता है।
वर्ष 2020-21 के लिए भारत सरकार के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की 12 जून को हुई बैठक में समग्र शिक्षा अभियान के लिए कुल 74 .23 अरब रुपये का बजट स्वीकृत किया था. इसमें भारत सरकार की तरफ से वास्तविक रूप में कुल 3827 अरब रुपये विमुक्त किया जायेगा. इसमें 35 अरब से अधिक रुपये केवल प्रारंभिक शिक्षा के लिए केद्रांश के रूप में निर्धारित की गयी।
इस परिप्रेक्ष्य में प्रथम किस्त के रूप में 5.73 अरब रुपये जारी किये. राज्य सरकार ने अपने अंश के रूप में 3.82 अरब की राशि सहायक अनुदान के रूप में दी है. मालूम हो कि समग्र शिक्षा अभियान में प्री स्कूल से कक्षा 12 तक के लिए राशि जारी की जाती है।