
राज्य :पंचायती राज व नगर निकाय के सरकारी विद्यालयों में बहाल शिक्षकों को प्रशिक्षण पूर्ण होने के बाद प्रशिक्षित सातवे वेतन का निर्धारण में इंडेक्स 3 को लेकर पटना हाईकोर्ट ने शिक्षकों के पक्ष में अपना फैसला सुनाते हुए बड़ी राहत दी है. इससे शिक्षकों में खुशी की लहर है, परिवर्तनकारी प्रारम्भिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष रौशन कुमार ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि पटना उच्च न्यायालय द्वारा अपने निर्णय नियोजित शिक्षकों के वेतन निर्धारण में इंडेक्स-3 की बाध्यता को समाप्त कर दिया है. इस निर्णय से शिक्षक समाज में न्यायपालिका के प्रति विश्वास बढ़ा है. उन्होंने कहा कि इस निर्णय से सेवा अवधि के अनुख्य वेतन बढ़ोतरी का लाभ शिक्षकों को मिलके अनुरूप वेतन बढ़ोतरी का लाभ मिलेगा।
शिक्षा विभाग द्वारा इंडेक्स 3 की बाध्यता को लेकर जारी पत्र के अनुसार वर्ष 2006, 2007, 2008 और 2010 में बहाल नियोजित शिक्षक व वर्ष 2013 और 14 में बहाल नियोजित शिक्षक का प्रशिक्षित वेतन निर्धारण समान हो गया था. इससे कतीय और वरीय शिक्षक का अंतर समाप्त हो गया था। अब नये आदेश से शिक्षकों को आर्थिक के साथ साथ सामाजिक लाभ भी होगा. न्यायालय के फैसले पर जिले के शिक्षक मो. इरफान मल्लिक, मनोज कुमार, विनोद चौधरी, प्रकाशचंद्र, शशिकांत वर्मा, सुनैना कुमारी, रूपा कुमारी, सुनील कुमार, सूचित कुमार, दिव्य सम्बल उर्फ बंटी, मिथिलेश कुमार, अजय कुमार, रविरंजन कुमार, मुकेश कुमार, तारकनाथ जायसवाल, मथुरा चौधरी, विनोद कुमार, राकेश कुमार, अति उत्तम कुमार, नवीन कुमार सिंह, सूरज चौलन, संजीव कुमार जन्म जय कुमार शाही व अन्य शिक्षकों ने खुशी जताई है.
नैक एक्रिडिएशन पर विशेष ध्यान देने की है जरूरत।
पटना। रैंकिंग के पारामीटर पर बिहार के शिक्षण संस्थानों को बेहद ध्यान देने की जरूरत है। पहला पारामीटर है टीचिंग लर्निंग। इसके तहत सबसे महत्वपूर्ण है छात्र और शिक्षक का अनुपात बिहार के पारंपरिक संस्थानों और विवि में इसकी कमी है। हालांकि, हाल के दिनों में गेस्ट टीचर की नियुक्ति और बीपीएससी के जरिये बहाली से उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षक छात्र अनुपात सुधरा है। इस मामले में आई आईटी और एनआईटी बेहतर स्थिति में हैं। इस टीचिंग प्रयोगशाला और फील्ड स्टडी आती है। इस मामले में पारंपरिक विवि काफी पीछे हो जाते हैं। नैक मान्यता में यहां के संस्थान पिछड़े हुए हैं। नैक एक्रीडिशन के सात मानकों में एन आईआरएफ के पांचों मानक आ जाते हैं। नैक से बेहतर ग्रेड मिलने पर कॉलेजों और संस्थानों का षज्ञों लर्निंग के अंतर्गत ही राय कॉन्फिडेंस बढ़ेगा। दूसरा अहम पहलू शोध है।
इसमें बिहार के सभी विवि काफी पीछे हैं। अधिकतर विभागों में नियमित गाइड नहीं है। एक एक शोध कार्य कई वर्षों में पूरा हो रहे हैं। तीसरा सबसे अहम पहलू है टीचिंग इनवायरमेंट कोरोना काल में तो यह पूरी तरह ध्वस्त रहा ऑनलाइन माध्यम से कक्षाएं चल बिहार के पारंपरिक विवि यहां पिछड़ गए। गांव के गरीब छात्र इंटरनेट के रिचार्ज से वंचित रहे। लैपटॉप की उपलब्धता नहीं है हजार 15 सौ के फोन से कक्षाएं करना उनके लिए सम्भव नहीं है। आउटरीच और आउटकम प्रोग्रामः आउटकम को समझने की जरूरत है। यह इससे तय होता है कि किसी संस्थान के छात्र कितने बड़े पदों पर गए। इससे भी रैंकिंग पर असर पड़ता है। आउटरीच प्रोग्राम यह है कि संस्थानों से अतंरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय संस्थानों तक कितने छात्र पहुंचे। डॉ. कामेश्वर झा उपाध्यक्ष राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा परिषद।