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सभी प्राथमिक शिक्षकों की निष्ठा ट्रेनिंग अनिवार्य कोषांग गठित।
पटना राज्य के सरकारी प्राथमिक स्कूलों की पहली से पांचवीं कक्षा तक में पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों की निष्ठा ट्रेनिंग अनिवार्य है। यह ट्रेनिंग पूर्णतः ऑनलाइन दीक्षा पोर्टल पर होगी। राज्य शैक्षिक शोध एवं प्रशिक्षण परिषद ने सभी जिलों से कहा है कि इस ट्रेनिंग को लेकर 26 सितम्बर के पहले वे जिला स्तर पर कार्यक्रम समन्वयक एवं टेक्निकल टीम का गठन निश्चित रूप से कर लें। सभी प्राथमिक शिक्षकों को 30 सितम्बर तक दीक्षा एप पर निबंधन करना अनिवार्य कर दिया गया है। एससीईआरटी ने निष्ठा (3.0) के सफल संचालन के लिए राज्यस्तर पर एक कोषांग का गठन किया है। डॉ. अर्चना, नीरज कुमार, नूतन सिंह, डॉ. राधे रमण प्रसाद, गोपीकांत चौधरी, हर्ष प्रकाश सुमन, राहुल, रणधीर कुमार, अविनाश कलगात और विवेक कुमार की 10 सदस्यीय टीम बना दी है। यह टीम निष्ठा ट्रेनिंग को क्रियान्वित करेगी और टीम में एससीईआरटी व बीईपी के अधिकारी तथा तकनीकी जानकार शामिल हैं।
सीवान में कम अंकवालों को बना दिया गया था नियोजन इकाइयों पर होगी एफआईआर।
जिले में शिक्षक नियोजन के दौरान जमकर गड़बड़ी की गई हैं। गड़बड़ी करने के दौरान अभ्यर्थियों ने फर्जी प्रमाणपत्र का सहारा लिया। जबकि नियोजन इकाइयों ने भी अनियमितता बरतने में कोताही नहीं बरती। अब जांच पड़ताल के बाद 48 शिक्षकों का नियोजन रद्द हो जाने से जिलेभर में खलबली मच गई है। लोगों का कहना है कि नियोजन इकाइयों द्वारा पारदर्शिता नहीं बरती गई है जिसके कारण 48 शिक्षकों का फर्जी नियोजन किया गया। सबसे ज्यादा मनमानी आंदर प्रखंड क्षेत्र में की गई है। विभागीय स्तर पर हुई जांच और समीक्षा में 12 शिक्षकों का नियोजन अवैध पाया गया है। जिनके नियोजन के दौरान आंदर प्रखंड में नियोजन इकाइयों द्वारा गड़बड़ी की गई है। इसमें अनिल कुमार राम, मुकेश कुमार मांझी, अनीश कुमार पंडित, सुनील कुमार साह, काजल कुमारी, नीतू कुमारी, दयानंद, श्री भगवान यादव, सौरभ उपाध्याय, प्रीति राय, सुदक्षिणा कुमारी, नम्रता कुमारी शामिल है। इन 12 शिक्षकों का नियोजन डीईओ मिथिलेश कुमार तथा डीपीओ राजेंद्र सिंह ने जांच के बाद निरस्त कर दिया है।
नियोजन इकाइयों पर पंचायती राज विभाग का नियंत्रण
मोटी रकम का हुआ खेल।
शिक्षकों के नियोजन के दौरान नियोजन इकाइयों द्वारा कई तरह की गड़बड़ियां की गई हैं। कम अंक वाले को भी नियोजन कर लिया गया है। जबकि अधिक अंक धारियों का जिलारी नियोजन नहीं किया गया। इसके लिए ( स्थापना शारखा) स्वाधिकारी व जमकर रुपयों का खेल हुआ। इस वजह से अधिक अंक धारियों द्वारा विभागीय अधिकारियों को आवेदन देकर जांच की मांग की थी। स्थापना शाखा के डीपीओ राजेंद्र सिंह ने कहा कि इन नियोजन इकाइयों पर एफआईआर दर्ज करने के लिए पंचायती राज पदाधिकारी को पत्र लिखा जाएगा। क्योंकि, नियोजन इकाइयों पर पंचायती राज विभाग का ही नियंत्रण होता है।
फर्जी प्रमाणपत्र बनाने वाले सक्रिय
जिले में 36 शिक्षकों का प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया है। इस फर्जी प्रमाण पत्र को बनवाने के दौरान भी शिक्षा माफियाओं द्वारा बड़े पैमाने पर रुपयों का खेल किया गया था। जिले में कई शिक्षा माफियाओं का नेटवर्क कार्य कर रहा है, जो फर्जी प्रमाणपत्र उपलब्ध कराता है। हालांकि जिन शिक्षकों का प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया है। इन आवेदकों से विभागीय स्तर पर अगर पूछताछ की जाएगी तो यह भी खुलासा हो सकेगा कि आखिर फर्जी प्रमाण पत्र कहां से आया। प्रथम चरण में जिले में 913 शिक्षकों का चयन हुआ था इन शिक्षकों के प्रमाण पत्र की जांच कराई गई थी। इधर शिक्षकों की बहाली रद्द किए जाने के बाद ऐसे शिक्षकों के घर उदासी छा गई है।
61 शिक्षकों में से तीन का प्रमाणपत्र फर्जी
भगवानपुर हाट | प्रथम चरण की काउंसिलिंग में चयनित 61 शिक्षकों में से तीन शिक्षकों का शिक्षक पात्रता परीक्षा का परीक्षाफल जांच में गलत पाया गया है। जिन तीन शिक्षकों का परीक्षाफल गलत पाया गया है, उनमें खेड़वा की शिक्षिका अर्चना कुमारी, ग्राम बगाही की सामान्य कोटि और कल्पना कुमारी सामान्य कोटि महिला श्रीपुर सहजीतपुर सारण की कौड़िया के लिए चयन हुआ था। आदित्य मोहन सिंह का चयन सामान्य कोटि में बलहा एराज़ी में हुआ है।