
मिड डे मील में शामिल करना होगा फोर्टीफाइड राइस
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल के बाद स्कूलों में परोसे जाने वाले मिड-डे मील में अब राज्यों को फोर्टीफाइड ( पौष्टिकता से भरपूर) चावल का इस्तेमाल करना होगा। इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए जरूरी कदम उठाने होंगे। शिक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे मिड-डे मील में फोर्टीफाइड चावल ही मुहैया कराने की योजना बनाए । भारतीय फोर्टिफाइड मिश्रित चावल । खाद्य निगम (एफसीआइ) से इसे लेकर संपर्क करें। शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों को लिखे पत्र में कहा है कि एफसीआइ ने जो जानकारी दी है, उसमें मौजूदा समय में उसके पास स्टाक में 7.59 लाख टन फोर्टीफाइड राइस मौजूद है।
जो अलग-अलग राज्यों में मौजूद है। ऐसे में जिन राज्यों में इसकी उपलब्धता है वहां प्राथमिकता से इसे लिया जाए। शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में इस संबंध में राज्यों से चर्चा भी की थी, जिसमें फोर्टीफाइड राइस के इस्तेमाल को लेकर के राज्यों की आशंकाओं का जवाब भी दिया था। साथ ही यह भी भरोसा दिया था, कि इसकी खरीद में कीमत का जो भी अंतर आयेगा, उसकी भरपाई मंत्रालय करेगा। पीएम मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से कुपोषण से निपटने का एलान करते हुए कहा था कि वर्ष 2024 तक सभी सरकारी योजनाओं के तहत मिलने चावल को फोर्टीफाइड कर दिया जाएगा। इस दौरान उन्होंने राशन की दुकानों और मिड-डे मील जैसी योजनाओं को फोर्टीफाइड राइस की देने को कहा है। अभी फोर्टीफाइड राइस का इस्तेमाल कुछ जिलों में मिड-डे मील योजना में किया जा रहा है।
शिक्षिका मां और बेटी की आयु में मात्र 8 साल का अंतर का होना जांच का विषय बना प्राथमिक विद्यालय
बेतिया। शिक्षिका मां और इनकी बेटी की आयु में महज 8 साल का अंतर का होना जांच का विषय बन गया है, यह अजब इत्तेफाक है कि शिक्षिका मां और उनकी बेटी दोनों ही बिहार मदरसा बोर्ड से मौलवी की परीक्षा पास करके मा ने वर्ष 2006 में शिक्षिका के पद पर राजकीय प्राथमिक विद्यालय रखही में नौकरी प्राप्त कर ली इनकी जन्म तिथि 12 दिसंबर 1983 प्रमाण पत्र में अंकित है, जबकि इनकी बेटी, शबाना बेगम जिसने मदरसा एजुकेशन बोर्ड से फोकानिया के मदरसा लिविंग सर्टिफिकेट प्रमाण पत्र प्राप्त किया, उसमें उसकी जन्मतिथि 25 जनवरी 1992 अंकित है, शैक्षणिक प्रमाण पत्र के अनुसार मां और बेटी की उम्र में मात्र 8 वर्ष का अंतर है, आरोप है कि शेगुफ्ता बेगम ने नाजायज लाभ लेने के लिए दिसंबर 2006 में ही मौलवी की परीक्षा पास की और उसी वर्ष दिसंबर में उनकी नियुक्ति हो गई।
नाजायज लाभ लेने के लिए ही जन्मतिथि में हेरा फेरी कर सरकारी राशि गबन किया जा रहा है, इस संबंध में एक आवेदनकर्ता भेडीहरवा निवासी शेख अमीर हसन ने जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के कार्यालय में एक परिवाद दायर किया है, दायर परिवाद में आरोप है कि शिकारपुर थाना क्षेत्र के रखही निवासी शगुफ्ता बेगम 2006 में राजकीय प्राथमिक विद्यालय रखही में नियुक्त हुई थी, इन दोनों मां और बेटे की प्रमाण पत्र के आधार पर आयु का सत्यापन की मांग की गई है, ताकि वस्तुस्थिति सामने आए और शिक्षिका के द्वारा गलत ढंग से सरकारी राशि का उपभोग करने की जांच होनी चाहिए। ताकि वस्तुस्थिति सामने आ सके।
मिड डे मील में शामिल करना होगा फोर्टीफाइड राइस
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल के बाद स्कूलों में परोसे जाने वाले मिड-डे मील में अब राज्यों को फोर्टीफाइड ( पौष्टिकता से भरपूर) चावल का इस्तेमाल करना होगा। इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए जरूरी कदम उठाने होंगे। शिक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे मिड-डे मील में फोर्टीफाइड चावल ही मुहैया कराने की योजना बनाए । भारतीय फोर्टिफाइड मिश्रित चावल । खाद्य निगम (एफसीआइ) से इसे लेकर संपर्क करें। शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों को लिखे पत्र में कहा है कि एफसीआइ ने जो जानकारी दी है, उसमें मौजूदा समय में उसके पास स्टाक में 7.59 लाख टन फोर्टीफाइड राइस मौजूद है।
जो अलग-अलग राज्यों में मौजूद है। ऐसे में जिन राज्यों में इसकी उपलब्धता है वहां प्राथमिकता से इसे लिया जाए। शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में इस संबंध में राज्यों से चर्चा भी की थी, जिसमें फोर्टीफाइड राइस के इस्तेमाल को लेकर के राज्यों की आशंकाओं का जवाब भी दिया था। साथ ही यह भी भरोसा दिया था, कि इसकी खरीद में कीमत का जो भी अंतर आयेगा, उसकी भरपाई मंत्रालय करेगा। पीएम मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से कुपोषण से निपटने का एलान करते हुए कहा था कि वर्ष 2024 तक सभी सरकारी योजनाओं के तहत मिलने चावल को फोर्टीफाइड कर दिया जाएगा। इस दौरान उन्होंने राशन की दुकानों और मिड-डे मील जैसी योजनाओं को फोर्टीफाइड राइस की देने को कहा है। अभी फोर्टीफाइड राइस का इस्तेमाल कुछ जिलों में मिड-डे मील योजना में किया जा रहा है।
शिक्षिका मां और बेटी की आयु में मात्र 8 साल का अंतर का होना जांच का विषय बना प्राथमिक विद्यालय
बेतिया। शिक्षिका मां और इनकी बेटी की आयु में महज 8 साल का अंतर का होना जांच का विषय बन गया है, यह अजब इत्तेफाक है कि शिक्षिका मां और उनकी बेटी दोनों ही बिहार मदरसा बोर्ड से मौलवी की परीक्षा पास करके मा ने वर्ष 2006 में शिक्षिका के पद पर राजकीय प्राथमिक विद्यालय रखही में नौकरी प्राप्त कर ली इनकी जन्म तिथि 12 दिसंबर 1983 प्रमाण पत्र में अंकित है, जबकि इनकी बेटी, शबाना बेगम जिसने मदरसा एजुकेशन बोर्ड से फोकानिया के मदरसा लिविंग सर्टिफिकेट प्रमाण पत्र प्राप्त किया, उसमें उसकी जन्मतिथि 25 जनवरी 1992 अंकित है, शैक्षणिक प्रमाण पत्र के अनुसार मां और बेटी की उम्र में मात्र 8 वर्ष का अंतर है, आरोप है कि शेगुफ्ता बेगम ने नाजायज लाभ लेने के लिए दिसंबर 2006 में ही मौलवी की परीक्षा पास की और उसी वर्ष दिसंबर में उनकी नियुक्ति हो गई।
नाजायज लाभ लेने के लिए ही जन्मतिथि में हेरा फेरी कर सरकारी राशि गबन किया जा रहा है, इस संबंध में एक आवेदनकर्ता भेडीहरवा निवासी शेख अमीर हसन ने जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के कार्यालय में एक परिवाद दायर किया है, दायर परिवाद में आरोप है कि शिकारपुर थाना क्षेत्र के रखही निवासी शगुफ्ता बेगम 2006 में राजकीय प्राथमिक विद्यालय रखही में नियुक्त हुई थी, इन दोनों मां और बेटे की प्रमाण पत्र के आधार पर आयु का सत्यापन की मांग की गई है, ताकि वस्तुस्थिति सामने आए और शिक्षिका के द्वारा गलत ढंग से सरकारी राशि का उपभोग करने की जांच होनी चाहिए। ताकि वस्तुस्थिति सामने आ सके।