
पटना। राज्य सरकार सूबे के प्राथमिक से उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पदस्थापित करीव 3.69 लाख शिक्षकों के साथ दोयम दर्जे का रवैया अपना रही है। कदम कदम पर शिक्षकों को वरगलाती है सरकार । देती है कम और ढ़िढ़ोरा पीटती है उससे कहीं ज्यादा वेतन का भुगतान भी किया जाता है तो ढ़िढ़ोरा ऐसे पीटा जाता है जैसे शिक्षकों को खैरात दिया जा रहा है। ये बातें शिक्षक अस्मिता वचाओ अभियान समिति के प्रदेश प्रतिनिधि आनंद मिश्रा ने कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भी राज्य का सबसे ज्वलंत मुद्दा है। यदि कुल मिलाकर देखा जाए तो शिक्षकों की ऐतिहासिक लंबी चली हड़ताल एवं उसके बाद सरकार की घोषणा और आदेशों को लागू नहीं होने से शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों में काफी निराशा है और वे अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। टालमटोल नीति की वजह से शिक्षक तनाव में हैं। उसके कारण गुणवतापूर्ण शिक्षा पर भी असर पड़ना लाजिमि है।
हड़ताल में हुए समझौते के बावजूद में के सरकार ने नहीं की पूरी मांग आनंद मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2015 में शिक्षकों ने अपनी वाजिव मांग को लेकर 37 दिन और वर्ष 2020 में 78 दिनों का हड़ताल किया। 2015 में लिपिक व चतुर्थवर्गीय कर्मियों को दिया गया वेतनमान उन्होंने बताया कि 2009 से लागतार अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करनेवाले राज्य के नियोजित शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यकक्षों को 2015 में सरकार से हुई समझौता के बाद कुछ आस जगी। मगर वेतनमान देने के नाम पर उन्हें लिपिक और चतुर्थवर्गीय कर्मचारी का वेतनमान सरकार द्वारा लागू किया गया। जिसे शिक्षकों ने उक्त वेतनमान को चाईनीज नाम दिया गया। क्योंकि उक्त वेतनमान में भी कटौती कर गई । इतना ही नहीं सेवाशर्त की मांग पर एक कमिटी वना दी गई, जिसे तीन महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट देनी थी।
उसके बाद 2020 के आंदोलन के बाद सरकार ने वेतन में 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी, सेवाशर्त जिसमें स्थांतरण, प्रोन्नति सहित कई आदेश शामिल थे और ईपीएफ का लाभ सितंबर 2020 से देने की बात कही गई। ईपीएफ की बात करें तो उसे भी पटना हाईकोर्ट के आदेश और केन्द्रीय नियमावली के के विपरित नियुक्ति तिथि से लागू नहीं की गई । इतना ही नहीं सभी शिक्षकों का मूल वेतन 15,000 हजार पर ही ईपीएफ की कटौती की घोषणाओं पर अमल नहीं होने से ठगा महसूस कर रहे हैं शिक्षक जा रही है। उक्त मामले को लेकर कई शिक्षकों ने पटना हाईकोर्ट में अवमानना वाद भी दायर कर चुके हैं। अधिसूचना जारी होने के एक साल बाद भी नहीं हुई बढ़ोतरी आनंद मिश्रा ने बताया कि वहीं वेतन की वात करें तो मांग को दरकिनार कर एवं सरकार द्वारा उच्चत्तम न्यायालय में दिए गए।
हलफनामा के में विपरित 1 अप्रैल 2021 से 15 प्रतिशत बढ़ोत्तरी की घोषणा की। कैविनेट का आदेश और शिक्षा विभाग की अधिसूचना जारी करने के एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अब तक शिक्षकों को 15 प्रतिशत वेतन बढ़ोतरी का भुगतान नहीं किया गया।
प्रोन्नति का मामला भी लटका।
उन्होंने बताया कि शिक्षकों की प्रोन्नति के मामले में पहले विभाग ने नियम बनाया था कि 7 वर्षों की सेवा के उपरांत शिक्षकों को प्रोन्नति दी जाएगी। बाद में सेवाशर्त में इसे बदल दिया गया और जो बदलाव किया गया।