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बिहार के ट्रेंड नियोजित शिक्षकों के लिए हाईकोर्ट ने एक बार फिर राहत देते हुए खुशियों का सौगात दिया।

बिहार के ट्रेंड नियोजित शिक्षकों के लिए हाईकोर्ट ने एक बार फिर राहत देते हुए खुशियों का सौगात दिया।

पटना हाईकोर्ट ने ट्रेंड नियोजित शिक्षकों को ट्रेनिंग पूरी होने की तारीख से ग्रेड पे का लाभ देने का आदेश दिया है। साथ ही सरकारी अधिकारियों के कामकाज करने के तरीके पर तीखी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि लोगों को बेवजह परेशान करने की बजाय कोर्ट आदेश का सही तरीके से पालन करें। ताकि लोग कोर्ट में केस दायर करने से बचें । न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने भागलपुर जिले के 38 ट्रेंड नियोजित शिक्षकों को राहत देते हुए यह आदेश दिया। 

अब तक की सबसे बड़ी खुशखबरी प्राथमिक से लेकर हाईस्कूल तक नए वेतनमान के साथ ग्रेड पे मिलेंगे।

 

कोर्ट ने सरकारी अधिकारियों को कड़ी हिदायत देते हुए कहा कि भविष्य में कोर्ट आदेशों का अनुपालन सही तरीके से करें ताकि नागरिक बेवजहमुकदमेबाजी से बच सकें। कोर्ट ने सरकार को आदर्श नियोक्ता ( मॉडल एम्प्लायर ) का पालन करने की सलाह देते हुए कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि कोर्ट के आदेशों का पालन सही तरीके से किया जाय ताकि कोई नागरिक आदेशों के लाभ से वंचित न रह सके।

कोर्टने भागलपुरजिले के डीएलएड ट्रेनिंग पाये 38 नियोजित शिक्षकों की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई की।
 कोर्ट ने इन सभी शिक्षकों को प्रशिक्षित वेतनमान का लाभ उनकी ट्रेनिंगसमाप्त होने की तारीख से देने का आदेश दिया। विभाग के उस आदेशको निरस्त कर दिया, जिसके तहत प्रशिक्षित शिक्षकों को बढ़ा हुए पे-स्केल उनकी ट्रेनिंग समाप्त होने की तारीख से सांकेतिक तौर पर और उनके ट्रेनिंग रिज़ल्ट की तारीख से उन्हें वास्तविक लाभ देने का
आदेश दिया गया था। 

आवेदकों की ओर से वकील सुनील कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि इसके पूर्व भी कोर्ट किशोर कुमार बनाम बिहार सरकार व अन्य के मामले में यह तय कर चुकी है कि नियोजित शिक्षकों को ट्रेनिंग समाप्त होने की तारीख सेप्रशिक्षित वेतनमान दिया जाएगा।  सरकार की गलती का खामियाजा शिक्षक क्यों भुगते कोर्ट का मानना है कि परीक्षा लेने और परिणाम घोषित करने की जवाबदेही शिक्षकों की नहीं है। 

यह काम सरकार का है। सरकार की गलती का खामियाजा शिक्षक क्यों भुगते। इसलिए उन्हें ट्रेंड पे स्केल का लाभ परिणाम घोषित करने की तारीख से तय करना गैर कानूनी है। कोर्ट ने उनकी दलील को मंजूर करते हुए सरकारी अफसरों की कार्यशैली पर नाराजगी जाहिर की। साथ ही कहा कि जब कोर्ट पूर्व में ही तय कर चुकी है कि प्रशिक्षित वेतनमान का लाभ कब से देना है तब फिर सांकेतिक और वास्तविक लाभ का नया मुद्दा लाना कोर्ट के आदेश को नजरअंदाज करना है।


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