
राज्य में समग्र शिक्षा अभियान के राज्यांश के मद में 586 करोड़ 41 लाख 39 हजार 42 रुपये की राशि जारी हुई है।इससे प्रारंभिक विद्यालयों एवं उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों के समग्र शिक्षा अभियान के पदों पर कार्यरत लाखों शिक्षकों का वेतन भुगतान होगा। ऐसे शिक्षकों की संख्या तकरीबन पौने तीन लाख है। इनमें 2.67 लाख प्रारंभिक शिक्षक हैं ।
समग्र शिक्षा अभियान के तहत राशि जारी करने को लेकर शिक्षा विभाग ने महालेखाकार को पत्र भेज दिया है। समग्र शिक्षा अभियान केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसमें केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी 60-40 है।
डीपीई योग्यताधारी शिक्षकों ने उठायी आवाज।
पटना। राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान शिक्षकों की नियुक्ति के लिए होने वाली परीक्षा में डीपीई सहित सभी तरह के प्रशिक्षित शिक्षकों को बैठने की अनुमति देने की मांग सरकार से बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ ने की है। संगठन ने कहा है कि परीक्षा में बैठने के लिए आठ वर्षों के न्यूनतम शिक्षण अनुभव की अनिवार्यता को शिथिल करते हुए उसे पांच वर्ष या प्रशिक्षित होने की तिथि से दो वर्ष किया जाय।इस बाबत बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री एवं प्राथमिक शिक्षा निदेशक को ज्ञापन भेजा है। उसमें कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा प्रारंभिक विद्यालयों में प्रधान शिक्षकों की नियुक्ति का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है, जिसमें पंचायतीराज के अधीन नियुक्त शिक्षकों को आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में सम्मिलित होने का अवसर प्रदान किया गया है, निर्गत अधिसूचना के अनुसार प्रक्षैणिक योग्यता डीईएलएड बीएड, बीएएड, बीएससीएडअथवा बीएलएड रखी गयी है।
बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश कार्यकारिणी अध्यक्ष समस्तीपुर के संघीय जिलाध्यक्ष रामचंद्र राय ने कहा कि बिहार सरकार बार-बार शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है । इग्नू के माध्यम से 2007-09, 2008-10, 2009-11 और 2010-12 में लगभग दो लाख शिक्षकों को डीपीई सेवाकालीन प्रशिक्षण दिलाया गया, जिसे एनसीटीई की मान्यता भी थी। लेकिन, डीपीई की मान्यता प्रधान शिक्षक की नियुक्ति में नहीं दिये जाने से कुल साढ़े तीन लाख पंचायती राज के अधीन नियुक्त शिक्षकों में से लगभग दो लाख शिक्षक प्रधान शिक्षक की परीक्षा में बैठने से वंचित रह जायेंगे ।
इस बीच संगठन के प्रदेश उपसचिव कुमार गौरव ने कहा है कि अधिसूचना में उल्लिखित उच्चतम उम्र सीमा में सुधार करते हुए इसे शिथिल किया जाना चाहिये । इसके साथ ही कंडिका 16 में प्रधान शिक्षक के लिए अस्पष्ट पे स्केल का उल्लेख स्पष्ट रूप से किया जाना चाहिये ।