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बिहार पटना :- राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने साफ कर दिया है कि संविदा पर बहाल सभी स्तर के सेवक सरकारी नहीं माने जाएंगे। इस आधार पर उनकी सेवा भी नियमित नहीं होगी।
विभाग ने यह जानकारी पटना हाई कोर्ट में दायर एक याचिका के संदर्भ में दी है। हाई कोर्ट ने विभाग को कहा था कि वह याचिका में दर्ज सेवा नियमित करने की मांग की समीक्षा करे। याचिका रविशंकर सिन्हा एवं अन्य की ओर से दायर की गई थी। हाई कोर्ट के आदेश के संदर्भ में पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से दिशा निर्देश मांगा था।
सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी किया मार्गदर्शक सिद्धांत
विभाग के संयुक्त सचिव कंचन कपूर के हवाले से जारी आदेश में कहा गया है कि सरकारी सेवाओं में किसी खास प्रयोजन के लिए स्थायी पदों के विरुद्ध संविदा पर नियुक्ति होती है। सरकार के विभिन्न विभागों में संविदा पर नियोजित कर्मियों की सेवा के बारे में विचार किया गया। विचार के बाद अनुशंसा की गई। इसके आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग ने मार्गदर्शक सिद्धांत जारी किया। इसमें साफ कहा गया है कि संविदा पर नियुक्त सेवकों को सरकारी सेवा में नियमितीकरण का कोई दावा नहीं बनेगा।
संयुक्त सचिव ने कहा कि बिहार के लगभग 4 लाख नियोजित शिक्षक संविदा कर्मियों की श्रेणी में नही आते है। नियोजित शिक्षक सरकारी सेवा के अंतर्गत आते है। नियोजित शिक्षकों को सरकार वर्ष 2015 में ही वेतनमान का लाभ दे चुकी है।
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मेडिकल कालेजों में तैनात किए जाएंगे 26 सहायक प्रोफेसर
बिहार लोक सेवा आयोग की अनुशंसा के साथ ही स्वास्थ्य के सात विभागों में 26 सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। आयोग की अनुशंसा के आधार पर विभाग ने अनुशंसित चिकित्सकों के प्रमाण पत्रों की जांच के लिए 16 व 17 अगस्त को दिन निर्धारित किया है। जिन चिकित्सकों की नियुक्ति की अनुशंसा मिली है उसमें पैथोलाजी विभाग में एक, मेडिसीन विभाग में छह, सर्जरी में आठ, शिशुरोग विभाग में तीन, स्त्री एवं प्रसव रोग विभाग में दो, नेत्र रोग विभाग में दो जबकि हड्डी रोग विभाग में चार चिकित्सकों को असिस्टेंट प्रोफेसर बनाया जाएगा।
अटल पेंशन योजना से बाहर होंगे आयकरदाता
नई दिल्ली। आयकरदाता एक अक्टूबर से सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजना एपीवाई में नामांकन नहीं कर सकेंगे। एक अधिसूचना में यह जानकारी दी गई।
सरकार ने मुख्य रूप से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए एक जून, 2015 को अटल पेंशन योजना (एपीवाई) शुरू की थी। योजना के अंशधारकों को उनके योगदान के आधार पर 60 वर्ष की उम्र होने के वाद गारंटी के साथ 1,000 रुपये से 5,000 रुपये मासिक की न्यूनतम पेंशन मिलती है। वित्त मंत्रालय ने अधिसूचना में कहा, एक अक्टूबर, 2022 से कोई भी नागरिक जो आयकरदाता है, या रहा है, वह एपीवाई में शामिल होने के योग्य नहीं होगा।' मंत्रालय ने एपीवाई पर अपनी पिछली अधिसूचना में वदलाव किया है। बुधवार को जारी नयी अधिसूचना उन अंशधारकों पर लागू नहीं होगी, जो एक अक्टूबर 2022 से पहले इस योजना में शामिल हुए हैं। अधिसूचना के मुताविक यदि कोई अंशधारक, जो एक अक्टूबर, 2022 को या उसके बाद इस योजना में शामिल हुआ है, और वाद में पाया जाता है कि वह आवेदन की तारीख को या उससे पहले आयकरदाता रहा है, तो उसका एपीवाई खाता वंद कर दिया जाएगा और अव तक की संचित पेंशन राशि उसे दे दी जाएगी। आयकर कानून के तहत 2.5 लाख रुपये तक की कर योग्य आय वाले लोगों को आयकर का भुगतान करने की जरूरत नहीं है।