
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज जनता दरबार लगाने से पहले कहे कि मैं जनता के दरबार में हम मुख्यमंत्री फिर से शुरू करेंगे। लेकिन इस पर राष्ट्रीय जनता दल के एक नेता ने कह दिया नीतीश जी को उलझा दिया और कहां जब से लालू जी का नकल कर दिया है लालू जी ने जिस तरह से गरीबों, वंचितों को सम्मान देने का काम किया चाहे जिस फिल्ड में हो या या एजुकेशन में देख लीजिए चाहे आप इस तरह के आप गरीब गुरबा जो कल तक आने आने-जाने बैठने पर पाबंदी लगा था वह लालू जी के रीजन में कुर्सी पर थाने के सामने बैठता है इसकी साफ दिख जाता है बहुत सारी चीजें हैं उस पर विस्तार किया फिर हमेशा नकल किया और अब नीतीश जी तेजस्वी जी का भी नकल कर रहे हैं.
इस वक्त सभी नियोजित शिक्षकों के लिए बड़ी खुशखबरी अपर सचिव निर्देशक दयाल सिंह का पत्र हुआ जारी।
जनता दरबार लगाए लोगों से मिले उनके शब्द मस्या को सुनें पूरे बिहार के लोग उनके पास पहुंच रहे सारे बेरोजगार हो जाए जिनके पास जिनके ऊपर जुल्म हुआ है वह लोग आ रहे थे आप जनता को पहले जवाब दीजिए ना जनता के पास जाकर माफी मांगी है और बिहार में जो हर दिन 10, 20, 25 हत्याएं हो रही है और न जाने कितने भाइयों को अपहरण कर लिया गया है व्यापारी बिहार छोड़ कर भाग रहे हैं पलायन कर रहे हैं। तमाम लोग चिंतित हैं हमारी बहनें घर अंधेरे के बाद सुरक्षित वापस लौटने की जानकारी नहीं है वापस आएंगे किसी के पिता अगर घर से निकलते हैं तो उसको यह पता नहीं होता है कि वापस आएंगे कि नहीं आएंगे पहले उसको ठीक कीजिए। आपका सवाल जो है ना पूरी तरह से खत्म हो चुका है। नीतीश जी कब दे रहे हैं आप जो है समान काम समान वेतन का ऐलान कीजिए आप कब दे रहे हैं आशा दीदी लोगों को इंसाफ कब मिल रहा है इनका मानदेय आप कब डबल कर रहे हैं ट्रिपल कर रहे हैं इतने बेरोजगार नौजवान हैं वह सड़क पर उनको देखिए किसानों के साथ अन्याय कर रहे हैं 2006 में खत्म कर दिया उसके बावजूद भी आप का तो फायदा होगा तो जब खत्म हो गया आज तक किसान परेशान है।
नियोजित शिक्षकों के फोल्डर अब भी गायब निगरानी ने नकारी अधूरी जानकारी।
पांच साल पहले बिहार में प्राथमिक से उच्च माध्यमिक स्कूल तक में नियुक्त करीब 1.18 लाख नियोजित शिक्षकों में अधिकतर के दस्तावेजी : फोल्डर अभी तक गायब ही हैं. शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा । पदाधिकारियों से मांगी जानकारी आने के बाद मामला और पेचीदा हो चला है। अधिकतर नियोजन इकाइयों ने आधी अधूरी जानकारी भेजी है। फोल्डर भी बहुत कम आये हैं, मुख्यालय पर बैठे अफसरों ने जब डीइओ से अधूरी जानकारी के बारे में पूछा तो पता चला कि नियोजन इकाइयों ने जानकारी देने में असमर्थता जतायी है। दरअसल उन नियोजन इकाइयों पर प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है। लिहाजा वह इस मामले में अपेक्षित सहयोग करती दिखाई नहीं दे रही हैं। पेचीदगी तब और बढ़ गयी जब कुछ जिलों से आये कुछ फोल्डर्स को निगरानी विभाग ने यह कह कर लौटा दिये कि इनके साथ मैरिट लिस्ट भी चाहिए।
जानकारी निगरानी के रवैये को सही बता रहे हैं, यह देखते हुए कि आखिर बिना मैरिट सूची के वह कैसे मान ले कि अमुक फोल्डर चयनित शिक्षक का है या किसी और का? फिलहाल सामने आ रही विसंगतियों और कठिनाइयों को हल करने के लिए आठ जनवरी को शिक्षा विभाग ओर निगरानी विभाग के बीच बैठक होने जा रही है। इसमें दोनों विभागों के आला अफसर शिरकत करेंगे। नियोजन इकाइयों ने प्राथमिकी दर्ज कराने की बात तो बतायी,लेकिन कितनी नियोजन इकाइयां और शिक्षकों की संख्या नहीं बतायी। उदाहरण के लिए पटना डीइओ कार्यालय से भेजी जानकारी को देखें , नगर निगम के 19 फोल्डर न मिलने पर एफआइआर कराने की बात कही,लेकिन किन शिक्षकों एवं नियोजन इकाइयों के नाम नदारद हैं।