.jpg)
PATNA : बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में ऐसे विषय, जिनमें नामांकन सीटों की तुलना में नगण्य हो पाते हैं, उनकी रिक्त सीटों को मांग वाले विषयों के लिए ट्रांसफर करने की कवायद शुरू होने जा रही है। सैद्धांतिक तौर पर राज्य सरकार इससे सहमत दिख रही है। दरअसल वर्तमान में ऐसे कई विषय हैं, जिनमें सीटों की तुलना में विद्यार्थियों की संख्या कई गुणा होती है। लिहाजा उन विषयों की पढ़ाई के लिए दूसरे राज्यों में पलायन के लिए विवश हो जाते हैं। विद्यार्थियों की मांग वाले विषयों को अधिक सीटें मिलती हैं तो प्रदेश के जीइआर में अप्रत्याशित इजाफा संभव दिख रहा है।
शिक्षा विभाग देगा भूमि का ब्यौरा
हाल ही में शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने इस आशय की मांग की थी। मांग को शिक्षा विभाग ने सकारात्मक रूप में लिया है। इस संदर्भ में अब विभाग यह व्यवस्था देने जा रहा है कि अगर विश्वविद्यालय विभिन्न विषयों की खाली सीटो को दूसरे विषय के लिए सीट ट्रांसफर करने का प्रस्ताव देते हैं तो उस पर सकारात्मक रुख देकर बच्चों के हक में निर्णय लिया जायेगा। इस संदर्भ में विश्वविद्यालय भी गंभीर हैं। आगामी शैक्षणिक सत्र में सीट स्थानांतरण के लिए प्रस्ताव विभाग को भेजे जायेंगे।
दरअसल नयी शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के दौर में सीट आवंटन के नियमों में लचीलापन लाया जाना जरूरी हो गया है। देखा गया है कि विशेष तौर पर भाषा विषयों मसलन संस्कृत,मैथिली, बंगला, हिंदी, अरबी, पर्सियन, प्राकृत, पाली की तीन- चौथाई सीटें हमेशा खाली रह जाती हैं। जबकि साइंस और आर्ट के परंपरागत विषयों यहां तक कि सेल्फ फाइनेंस सब्जेक्ट में सीट कम मांग अधिक है।
उदाहरण के लिए एमएससी इन्वायरमेंट, एमसीए और एमएससी बायो टेक्नोलॉजी,बीबीए, एमबीए में सीट की अधिकाधिक मांग है। दरअसल इनकी मांग की तुलना में सीटें कम पड़ जाती हैं। फिलहाल विशेष तौर पर भाषा संबंधी हजारों सीटों के खाली रह जाने से प्रदेश के सकल नामांकन अनुपात भी कम रह जाता है। नयी शिक्षा नीति में इस अनुपात को काफी बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रस्ताव पर होगा विचार
विषय के हिसाब से सीट स्थानांतरण के संदर्भ में अगर विश्वविद्यालय प्रस्ताव भेजते हैं, तो विभाग उस पर विचार करेगा। विचार करने के बाद विधि सम्मत निर्णय लिया जायेगा। दरअसल जीइआर बढ़ाने की दिशा में विभाग सकारात्मक दिशा में सोच रहा है।