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पटना: नए सत्र में शैक्षणिक प्रदर्शन के आधार पर सभी जिलों की ग्रेडिंग होगी। इसके लिए अप्रैल से सभी 38 जिलों में अभियान चलेगा। इसी आधार पर सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार का आकलन भी किया जाएगा। इसके आधार पर जिलास्तर पर शिक्षा में गुणात्मक सुधार में तेजी लाने के लिए रणनीति भी बनेगी। इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जाएगी। हाल ही में मानव संसाधन मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने बिहार सरकार को परफार्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स बनाने का आदेश दिया है।
बच्चों की क्षमता का आकलन : बच्चों की क्षमता का आकलन होगा। प्राथमिक से मध्य विद्यालय में जाने वाले बच्चों की प्रतिशत, भाषा, विज्ञान व गणित जैसे विषय में समझ की परख होगी। शिक्षकों के शिक्षण कार्य क्षमता विकास एवं कक्षाओं में उपस्थिति आदि का आकलन होगा। क्लासरूम ट्रांजेक्शन के तहत शिक्षण कार्य और बच्चों को पढ़ाने के तरीके का आकलन होगा। स्वच्छ भारत अभियान, फिट इंडिया, नागरिक कर्त्तव्य का पालन, शैक्षणिक व विकास गतिविधियां और एक भारत, श्रेष्ठ भारत पर आकलन होगा।
छह सूचकांक पर 600 अंकों पर माकिंग
केंद्र सरकार की ओर से स्कूलों का ग्रेडिंग सूचकांक बनाने का दिए गए निर्देश के मुताबिक 6 सूचकांक (इंडीकेटर्स) की 84 बिंदुओं पर मार्किंग की जाएगी। पूरी जांच 600 अंकों की होगी। रैंकिंग के आधार पर विद्यालय शिक्षा की वास्तविक स्थिति को भी समझा जा सकेगा। केंद्र सरकार ने सूचकांक पर अलग-अलग अंक तय किया है। नतीजे ( आउटकम्स) पर 350, क्लासरूम ट्रांजेक्शन पर 30, आधारभूत संरचना पर 51, स्कूल सेफ्टी एंड चाइल्ड प्रोटेक्शन पर 35, डिजिटल लर्निंग पर 50 एवं स्कूल प्रबंधन एवं प्रशासन पर 84 अंक निर्धारित है।