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प्रवेशोत्सव के तहत सरकारी प्रारंभिक स्कूलों में चले नामांकन अभियान से शिक्षा विभाग संतुष्ट नहीं।
पहली कक्षा में 1437989 विद्यार्थियों का नामांकन हुआ है। यह शिक्षा विभाग के अनुमान के 65% है। पहली कक्षा में कम से कम 15% नामांकन और बढ़ाने होंगे। इसको लेकर सभी डीईओ समीक्षा बैठक करेंगे। स्कूल अपने-अपने पोषक क्षेत्र में फिर से अनामांकित बच्चों की पहचान का प्रयास कर उनका नामांकन कराएंगे। - संजय सिंह, एसपीडी, बीईपी।
सभी शिक्षकों के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी ने गाइडलाइन जारी किया -
पहली का हर बच्चा नामांकित, देना होगा प्रमाणपत्र
पटना | राज्य के सभी 72 हजार सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में प्रदेशभर के छह साल के छात्र-छात्राओं के शैक्षिक सत्र 2021-22 में अब तक हुए नामांकन से शिक्षा विभाग संतुष्ट नहीं है। ऐसे में विभाग ने निर्देश दिया है कि जिलों को यह प्रमाणपत्र देना होगा कि उनके यहां छह साल का कोई बच्चा अनामांकित नहीं है। दरअसल, 'प्रवेशोत्सव के तहत आठ से 25 मार्च तक चले विशेष नामांकन अभियान के दौरान पहली कक्षा में सिर्फ 14 लाख 37 हजार 839 विद्यार्थियों के नामांकन कराए जा सके हैं।
जिलों ने 'प्रवेशोत्सव के नोडल बिहार शिक्षा परियोजना परिषद को अपनी अंतिम रिपोर्ट भी भेज दी है, जिसमें कहा है कि उनके यहां कोई भी बच्चा अनामांकित नहीं बचा है। हालांकि विभाग संतुष्ट नहीं 1. है, जिसको लेकर बीईपी ने बड़ा फैसला किया है। बीईपी के राज्य परियोजना निदेशक संजय सिंह ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को अनामांकित बच्चों की खोज कर पुनः नामांकन अभियान चलाने को कहा है। इसके लिए जिलों को 16 अप्रैल तक का समय दिया गया है। साथ ही 26 अप्रैल को सभी से प्रमाणपत्र मांगा है।
चार स्तरों पर देना होगा प्रमाणपत्र
छह साल के छात्र-छात्राओं के शैक्षिक सत्र 2021-22 में अब तक हुए नामांकन को लेकर जिलों को चार स्तरों पर प्रमाण पत्र देना होगा। सबसे पहले विद्यालय प्रधान लिखित प्रमाणपत्र देंगे कि उनके स्कूल के पोषक क्षेत्र में साल का एक भी छात्र-छात्रा विद्यालय में अनामांकित नहीं है। उसके आधार पर संकुल संसाधन केन्द्र के समन्वयक प्रमाणपत्र देंगे। तीसरा प्रमाणपत्र प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के स्तर से और चौथ प्रमाणपत्र जिले के स्तर से राज्य मुख्यालय को देना है।