
नौकरी करने वालों के लिए बड़ी खुशखबरी है. इपीएफओ ने 23.44 करोड़ नौकरीपेशाओं के खाते में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 8.50 फीसदी का ब्याज डाल दिया है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने ट्वीट के जरिए खुद ये जानकारी दी है. इपीएफओ ने बताया कि उसने 23.44 करोड़ के खाते में ब्याज का पैसा डाल दिया है. अगर आपने भी अब तक चेक न किया है तो इस आसान प्रक्रिया से अपना बैलेंस चेक कर सकते हैं. आपको बता दें कि पिछली बार वित्त वर्ष 2019-20 में केवाईसी में हुई गड़बड़ी के चलते कई सब्सक्राइबर्स को लंबा इंतजार करना पड़ा था. इपीएफओ ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए ब्याज दरों को बिना बदलाव के 8.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा था जो कि पिछले 7 साल के निचले स्तर की ब्याज दर है. आप अपने पीएफ का पैसा चेक करने के लिए अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से 011-22901406 पर मिस्ड कॉल देना होगा. इसके बाद इपीएफओ के मैसेज के जरिए आपको पीएफ की डिटेल मिल जाएगी।
एमडीएम से खड़े किए हाथ दूसरी व्यवस्था करे सरकार।
बेगूसराय : एमडीएम योजना के नए नियमों ने शिक्षकों को परेशान कर दिया है। इस कारण प्रारंभिक स्कूलों के हेडमास्टरों ने इस योजना को संचालित करने में असमर्थता जताते हुए विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्र प्रेषित कर एचएम और शिक्षकों को इससे करने की अपील की है।
बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघर्ष मोर्चा के राज्य संयोजक चंद्रकांत ने बताया कि अब इस योजना को चलाने के लिए एचएम को पीएफएमएस के तहत यूजर आईडी और पासवर्ड जनरेट करना होगा। वेंडरों को जोड़ना होगा। भुगतान के लिए सभी अभिश्रवयों पर विद्यालय शिक्षा समिति के सचिव से हस्ताक्षर कराकर उसे अपलोड करना होगा एवं मेकर के द्वारा एडवाइस जेनरेट करना होगा। सबसे बड़ी समस्या ये है कि ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे दुकान शायद ही कहीं हों जिनके पास जीएसटी नंबर हो, दुकान का बैंक एकाउंट हो और ईमेल आईडी न हुआ हो। दूसरी बड़ी समस्या ये होगी कि इस योजना को स्कूल से संचालित करने के लिए सभी स्कूलों में डाटा इंट्री ऑपरेटर कम्प्यूटर, प्रिंटर स्कैनर और फ़ास्ट इंटरनेट की व्यवस्था करनी होगी, जिसके लिए अतिरिक्त फंड कहां से आएगा, इसकी कोई जानकारी किसी के पास नहीं है।
तीसरी और अहम बात ये है कि शिक्षकों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए तैनात किया गया है। बहुत कम प्रधान शिक्षक ऐसे हैं जो कम्प्यूटर में दक्षता रखते हैं। ये गैर शैक्षणिक कार्य है, इस लिए मोर्चा ने इससे शिक्षकों को मुक्त करने के लिए हाईकोर्ट में भी पेटीशन दाखिल की थी।