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शिक्षा विभाग के आदेश के बाद भी संकुल संसाधन केंद्र के ढेर सारे समन्वयक अपने मूल विद्यालय में अध्यापन कार्य के लिए योगदान नहीं कर रहे हैं। मानपुर, परैया सहित कई प्रखंडों के कई सीआरसीसी आदेश के छह दिन बाद भी योगदान नहीं किए हैं। अपर मुख्य सचिव ने 2 सितंबर को ही पत्र जारी कर कहा था विभागीय आदेश के आलोक में गठित उच्चस्तरीय समिति की अनुशंसा के बाद राज्य के सभी सीआरसीसी को तत्काल प्रभाव से अपने मूल विद्यालय में अध्यापन कार्य करने का आदेश दिया जाता है। सीआरसीसी के प्रतिनियुक्ति के संदर्भ में किसी भी स्तर से निर्गत सभी आदेश तत्काल प्रभाव से निरस्त माने जाएंगे। गया जिले में कुल 252 सीआरसीसी हैं। अपर मुख्य सचिव के आदेश के बाद तत्काल सभी को मूल विद्यालय में योगदान करना था।
यह खुलासा 'दि स्कूल चिल्ड्रेन्स ऑनलाइन एंड ऑफलाइन लर्निंग'(एससीएचओओएल) सर्वे ने लॉकडाउन इमरजेंसी रिपोर्ट ऑन स्कूल एजुकेशन शीर्षक से जारी सर्वेक्षण रिपोर्ट में किया है। सर्वेक्षण करीब 100 स्वयंसेवकों ने किया है। जबकि रिपोर्ट समन्वय समिति ने तैयार की है। इसमें अर्थशास्त्री ज्यांद्रेज और निराली बाखला जैसी हस्तियां शामिल थी। अगस्त 2021 में सर्वेक्षण का पहला राउंडसे बच्चों के दूर होने का बड़ा कारण पैसे की कमी, खराब कनेक्टिविटी या स्मार्टफोन का उपलब्ध नहीं होना है। छह फीसदी ग्रामीण तो 9 फीसदी शहरी छात्रों के अभिभावकों के पास इंटरनेट के लिए पैसे नहीं हैं। जबकि 36 फीसदी ग्रा
ऑनलाइन कला उत्सव, 2021 की तैयारी शुरू हो गयी है । इस बाबत बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य परियोजना निदेशक श्रीकान्त शास्त्री द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारियों के साथ ही ध्यमिक शिक्षा, प्रारंभिक शिक्षा एवं समग्र शिक्षा के जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को में सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त एवं निजी स्कूलों के साथ ही रेलवे, बीएसएफ, सीआरपीएफ, आर्मी, एयर फोर्स एवं कैंट बोर्ड के स्कूलों के 9वीं से 12वीं कक्षा के छात्र-छात्रा शामिल होंगे। नौ विधाओं में ऑनलाइन होगा उत्सव निर्देश दिये गये हैं। कला उत्सव प्रतियोगिता के नौ विधाओं में शास्त्रीय संगीत गायन, पारंपरिक लोक संगीत गायन, शास्त्रीय संगीत वादन, पारंपरिक लोक संगीत वादन, शास्त्रीय नृत्य, लोकनृत्य, द्वि-आयामी दृश्यकला, त्रिी आयामी दृश्यकला एवं स्थानीय खेल खिलौना शामिल हैं। जिला एवं राज्य स्तर पर कला उत्सव का आयोजन अक्तूबर -नवंबर में होगा। जिला स्तरीय आयोजन में प्रतिभागिता हेतु नौ विधाओं में किसी भी विधा में छात्र-छात्राओं का चयन विद्यालय स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन कर किया जायेगा। छात्र-छात्रा किसी एक ही विधा में भाग ले सकेंगे ।
मीण तो 30 फीसदी शहरी छात्रों के पास स्मार्टफोन नहीं थे। गांवों के 43 फीसदी और शहरों के 14 फीसदी स्कूलों ने ऑनलाइन स्टूडी के लिए पाठ्यक्रम नहीं भेजा। वहीं, शहर और गांवों में खराब कनेक्टिविटी की दिक्कत 9 फीसदी रही है। शहर के 31 फीसदी तो गांवों के 15 फीसदी छात्र नियमित रूप से ऑनलाइन पढ़ाई करते हैं।पूरा हुआ है। इसमें पहली से आठवीं तक के छात्रों को शामिल किया गया था। इसमें यूपी, हरियाणा, दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिसा, तमिलनाडु, कर्नाटक, झारखंड समेत 15 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं। 3 महीने से नहीं दी परीक्षा : सर्वेक्षण में खुलासा किया गया कि 71 फीसदी ग्रामीण और 52 फीसदी शहरी इलाकों के छात्रों ने तीन महीने से कोई परीक्षा नहीं दी है।
जबकि ग्रामीण इलाकों के 58 फीसदी और शहरी इलाकों के 51 फीसदी छात्र 30 दिन यानी एक माह से अपने शिक्षकों से नहीं मिले हैं। ग्रामीण इलाकों में केवल 28 फीसदी छात्र ही नियमित तौर पर पढ़ाई कर रहे थे। जबकि 37 फीसदी छात्र बिल्कुल पढ़ नहीं रहे। हैं। सामान्य पढ़ाई की क्षमता को लेकर सर्वेक्षण के नतीजे आगाह करने वाले हैं। क्योंकि इसमें शामिल करीब आधे बच्चे कुछ शब्दों के अलावा कुछ भी नहीं पढ़ पा रहे थे। सर्वेक्षण में दावा किया गया कि शहरी इलाकों में नियमित तौर पर पढ़ाई करने वाले बिल्कुल पढ़ाई नहीं करने वाले और कुछ शब्दों से अधिक न पढ़ पाने वाले बच्चों का फीसदी क्रमशः 47, 19 और 42 फीसदी है। नियमित रूप से ऑनलाइन कक्षा में भाग लेने वाले विद्यार्थियों का अनुपात शहरी और ग्रामीण इलाकों में 24 और आठ फीसदी है।पैसे की कमी और स्मार्टफोन न होना बना बड़ा कारण।
सर्वेक्षण में लिखा है कि शिक्षा