.jpeg)
• बीईओ को पांच व बीआरपी को चुनने थे तीन स्कूल
• मॉडल स्कूलों में समय पालन व साफ-सफाई पर होगा जोर
जिले के 165 स्कूलों को मॉडल बनाने की जिम्मेवारी बीईओ और बीआरपी को दी गई है। डीएम ने सभी बीईओ को पांच स्कूल और बी आरपी को तीन स्कूलों का चयन अपने स्तर से करने का निर्देश दिया था। शनिवार को बीईओ और बीआरपी ने चयनित स्कूल की सूची विभाग को सौंप दी है। इनमें कुल 165 स्कूलों का चयन किया गया है।
मॉडल स्कूल को लेकर 21 इंडिकेटर विभाग की ओर से तय किए हैं। इन इंडिकेटर का स्कूलों में पालन करवा कर इन्हें मॉडल स्कूल के रूप में बदलना है। अलग-अलग प्रखंडों में प्रखंड शिक्षा अधिकारियों ने अपने मनमुताबिक स्कूलों का चयन किया है। पहले चरण में इन 165 स्कूलों को मॉडल स्कूल बनाने की कवायद की जा रही है। डीएम ने निर्देश दिया है कि यह सिर्फ कागज पर नहीं होगा, बल्कि इन स्कूलों में हर हफ्ते जिला स्तर के अधिकारियों का दौरा होगा और किस इंडिकेटर पर कितना काम हुआ, इसकी रिपोर्ट बनाई जाएगी। इसी के आधार पर इन्हें ग्रेड दिया जाएगा।
बिहार शिक्षा परियोजना की ओर से तय किए गए हैं ये इंडिकेटर : डीईओ अब्दुस्सलाम अंसारी, डीपीओ सर्वशिक्षा अभियान अमरेंद्र पांडे, संभाग प्रभारी सुजीत कुमार ने बताया कि मॉडल स्कूल के लिए जो 21 इंडिकेटर तय किए गए हैं, उसके तहत विद्यालय समय पर खोलना और बंद होना पहले नंबर पर है।
इसके बाद हर एक बच्चा और शिक्षक स्कूल के समय में स्कूल में उपस्थित हो, समय से चेतना सत्र का आयोजन, हर चेतना सत्र में बच्चों द्वारा समाचार पत्र का वाचन, बिहार राज्य प्रार्थना गीत, अलग-अलग अभियान गीत, सभी बच्चे पोशाक में स्कूल आएं. हर शिक्षक को कम से कम 2 वर्ग आवंटित करना, प्रतिदिन शिक्षकों द्वारा पाठ टीका का निर्माण करना, छात्रों को शिक्षकों के द्वारा प्रतिदिन होमवर्क दिया जाना तथा अगले दिन उसका मूल्यांकन करना, शिक्षकों को बच्चों के शैक्षणिक स्तर की जानकारी और उसका संधारण, प्रधानाध्यापक प्रभारी प्रधानाध्यापक, प्रधान शिक्षक बच्चों की कम से कम दो कक्षा प्रतिदिन लें, विद्यार्थियों का अधिगम स्तर उम्र सापेक्ष और वर्ग सापेक्ष सुनिश्चित करना, हर एक बच्चा और हर एक शिक्षक सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में तल्लीन रहे, सभी वर्ग कक्ष में शिक्षकों द्वारा ब्लैक बोर्ड का उपयोग करना, सभी बच्चों के पास अपनी कक्षा की किताबें उपलब्ध होना, सभी कक्षाओं में दैनिक शिक्षण तालिका होना, बाल संसद तथा मीना मंच का क्रियान्वयन, अंतिम घंटे में खेलकूद, कक्षा एक के लिए विशेष रूप से निर्धारित पूर्णकालिक शिक्षक, स्कूलों को उपलब्ध कराई गई कहानी की किताब, खेल सामग्री आदि का उपयोग, साफ-सुथरे बच्चे तथा साफ सुथरा स्कूल, स्कूल परिसर में बागवानी, पेयजल व्यवस्था और शौचालय, विद्यालय में साप्ताहिक कक्षा वारर शिक्षक अभिभावक की नियमित बैठक शामिल है।