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कोरोना से अबतक 21 जिलों में 64 शिक्षकों की हुई मौत फिर भी शिक्षकों के लिए विभाग से आया आदेश।

कोरोना से अबतक 21 जिलों में 64 शिक्षकों की हुई मौत फिर भी शिक्षकों के लिए विभाग से आया आदेश।

पटना| कोरोना संक्रमण से लगातार लोगों की मौत हो रही है। परिवर्तनकारी शिक्षक महासंघ के अनुसार राज्य के 21 जिलों में 64 शिक्षकों की मौत कोरोना संक्रमण के कारण हुई है। सबसे ज्यादा भागलपुर जिले के विभिन्न प्रखंडों के 12 शिक्षकों की कोरोना से मौत हुई है। भोजपुर 9, पूर्वी चंपारण 8, नालंदा 7, वैशाली 5, पूर्णिया 3, शेखपुरा 3, औरंगाबाद 3, मुजफ्फरपुर 2, दरभंगा 2, गया 2, लखीसराय 2, नवादा, शिवहर, सीवान, पश्चिम चंपारण, समस्तीपुर, सुपौल, मधुबनी और गोपालगंज में 1-1 शिक्षक की मौत हो गई। परिवर्तनकारी शिक्षक महासंघ के प्रदेश संगठन महामंत्री शिशिर कुमार पांडेय और प्रदेश कार्यकारी संयोजक नवनीत कुमार ने कोरोना से मृत शिक्षकों के परिजन को 50 लाख रुपए की अनुग्रह राशि देने की मांग सरकार से की है।

शिक्षकों को 33 फीसदी उपस्थिति से मुक्ति : ब्रजनंदन शर्मा बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ अध्यक्ष।

 

पटरी पर कब लौटेगी शैक्षणिक व्यवस्था छात्रों को नुकसान
कोरोना के कारण छात्रों की लगातार दूसरे साल की पढ़ाई पर भारी असर पड़ा है। स्कूल से लेकर कॉलेज तक की यही स्थिति बन गई है। इंटर और इसके बाद उच्च शिक्षा में स्नातक और पीजी के छात्रों को भी हुए इस नुकसान की भरपाई अब आसान नहीं होगी। इस कोरोना के कारण सालभर की पढ़ाई 2 महीने और 6 महीने की पढ़ाई 6 दिनों में पूरी कराई गई। पीजी और स्नातक दोनों कोर्सों में पिछले दो साल से इसी तरह हो रहा है ।

शिक्षाविदों का कहना है कि देर से ही सही डिग्री तो मिल जाएगी, लेकिन बीता हुआ समय उनके लिए वापस नहीं आ पाएगा। बिहार सहित उत्तर भारत के छात्र नौकरियां पाने के लिए प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी को ध्यान में रखकर पढ़ाई करते हैं, लेकिन इस 2 साल में उनकी जानकारी और निकले उम्र को वापस लाना संभव नहीं होगा। हालत कबतक सुधरेंगे यह कोई नहीं बता पा रहा और इसके कारण शैक्षणिक व्यवस्था पटरी पर कब लौटेगी
यह कहना भी मुश्किल हो गया है । अधिक से अधिक एक्स्ट्रा क्लास कर नुकसान से बचाया जा सकता है:

 डॉ. अमरेन्द्रबीआरए बिहार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. डॉ. अमरेन्द्र नारायण यादव ने कहा कि छात्रों को पिछले दो साल से बड़ा नुकसान हो रहा है। इसकी भरपाई संभव नहीं है क्योंकि आने वाले समय में नये छात्र आएंगे। इन छात्रों को आगे बढ़ाना भी जरूरी है। यह दो साल छात्रों के लिए त्राहिमाम जैसा रहा। पढ़ाई के साथ छात्र नौकरियों के लिए भी तैयारी करते थे। ऐसे में क्लास नहीं होने से मुश्किल है।। 

ऑनलाइन क्लास से उस तरह का लाभ नहीं मिल पाएगा। अगर कुछ भरपाई हो सकती है तो वह यह है कि कोरोना पर थोड़ा भी नियंत्रण होता है तो अधिक से अधिक स्पेशल क्लास कराकर कुछ हद तक छात्रों को ज्ञान दें सकते हैं, क्योंकि सिर्फ डिग्री लेने से क्या होगा। नॉलेज के बिना डिग्री लेना चुनौतियों से भरा होगा । सिलेबस को कुछ कम कर प्रश्नों को घटाया जाए। इसी तरह के कुछ विकल्पों पर विश्वविद्यालयों को विचार करना होगा । नौकरी के लिए हुनर तो चाहिए सिर्फ

डिग्री से काम नहीं चलेगा। ऑनलाइन क्लास की और बेहतर व्यवस्था हो। 
प्रो. रवीन्द्र पूर्व कुलपति प्रो. रवीन्द्र कुमार वर्मा रवि ने कहा कि कॉलेज और विश्वविद्यालयों को अतिरिक्त विकल्पों पर विचार करना होगा। उनके पास साधन भी हैं। शिक्षा शास्त्रियों से राय लेनी चाहिए, लेकिन छात्रों का इस संकटकाल में जान बचाना भी जरूरी है। स्थिति सामान्य होने पर अतिरिक्त क्लास लेकर कुछ हद तक नुकसान को घटाया जा सकता है। ऑनलाइन क्लास की और बेहतर व्यवस्था करनी चाहिए।


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