
40 रुपये के चक्कर में उलझा वीक्षकों का गणित
दोगुनी संख्या में वीक्षकों की ड्यूटी लगाने के बाद हुई डिमांड और अगर एक ही वीक्षक दोनों पाली में छात्राओं के केन्द्र पर महिला वीक्षकों की भी होती रही मांग
एक पाली में 50 रुपये। दोनों पाली में अलग-अलग वीक्षक पर 100 रुपये रहे हैं तो 140 रुपये। रोज के खर्च का यह हिसाब है। पर, कुछेक केन्द्रों पर 40 रुपये अपनी जेब में करने के लिए केन्द्राधीक्षकों ने जो गणित भिड़ाया है।
उसने मैट्रिक परीक्षा के पहले दिन ही अधिकारियों को उलझा दिया। दोगुनी संख्या में वीक्षकों की ड्यूटी लगाने के बाद भी केन्द्रों से बुधवार को हो रही डिमांड से अधिकारी हलकान रहे। दूसरी पाली में कई केन्द्र से वीक्षकों की डिमांड होती रही। इसके साथ ही छात्राओं के केन्द्र पर महिला वीक्षकों की भी डिमांड होती रही। औसतन दो हजार वीक्षक प्रतिदिन लगने हैं।
वीक्षकों की कमी पर अधिकारी से लेकर कंट्रोल रूम के तक के कर्मी हैरान कि लगभग सभी केन्द्र पर मंगलवार को पर्याप्त संख्या में वीक्षकों के योगदान की रिपोर्ट है, फिर दूसरी पाली में अचानक कमी कैसे। मामला सामने आया कि पहली पाली में जो वीक्षक थे, उनमें से अधिकतर दूसरी में ड्यूटी नहीं कर रहे। मैट्रिक परीक्षा में एक पाली में ड्यूटी पर वीक्षक को 50 रुपये दिए जाते हैं। अगर वही वीक्षक दोनों पाली में ड्यूटी करता है तो उसे ड्यूटी के 50 रुपये के अतिरिक्त नाश्ते के लिए 40 रुपये देने का प्रावधान है ।
प्रति वीक्षक नाश्ते के 40 रुपये बचाने के चक्कर में कुछेक केन्द्राधीक्षक वीक्षकों को दूसरी पाली में सहज रूप से छोड़ देते हैं । ऐसे में दोनों पाली की हाजिरी की जांच इस बार पूरे खेल को उजागर करेगी । डीईओ अब्दुसलाम अंसारी ने कहा कि हर दिन वीक्षकों की संख्या की रिपोर्ट ली जा रही है। छात्राओं के केन्द्र पर अधिकतर महिला शिक्षक ही हैं । फिर भी दोनों पाली में वीक्षकों की हाजिरी की जांच की जाएगी। ताकि वित्तीय गड़बड़ी न हो।