शिक्षा विभाग का कड़ा एक्शन: SCERT के व्याख्याता करेंगे स्कूलों का निरीक्षण, हर क्लास पर होगी नजर

Aditya Raj August 28, 2025 09:53 PM IST

गर्मी की छुट्टियों के बाद स्कूल खुलते ही शिक्षा विभाग ने निगरानी की कमान SCERT के व्याख्याताओं को सौंपी है। अब हर शिक्षक के पढ़ाने के तरीके, टीएलएम, एफएलएन किट के उपयोग और समय-सारणी के पालन की होगी गहन जांच।

  • 24 जून से सभी सरकारी स्कूल फिर से खुलेंगे
  • SCERT के व्याख्याता हर स्कूल का निरीक्षण करेंगे
  • शिक्षकों की कार्यशैली और कक्षा संचालन की होगी समीक्षा
  • निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर होगी विभागीय कार्रवाई

सरकारी स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां अब समाप्ति की ओर हैं और 24 जून से पुनः कक्षाएं शुरू होने जा रही हैं। इस बार शिक्षा विभाग ने स्कूलों के शैक्षणिक स्तर पर कड़ी निगरानी रखने का फैसला लिया है। अब किसी भी शिक्षक की लापरवाही या मनमानी नहीं चलेगी।

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राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) के व्याख्याताओं को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वे स्कूलों का नियमित रूप से निरीक्षण करें। उनका प्रमुख कार्य यह देखना होगा कि प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक किस प्रकार से कक्षा में पढ़ा रहे हैं और निर्धारित मानकों का पालन हो रहा है या नहीं।

शिक्षकों को पहले ही डायट (DIET) केंद्रों पर छह दिनों का आवासीय प्रशिक्षण दिया जा चुका है, जिसमें उन्हें टीएलएम, एफएलएन किट, और बच्चों के साथ व्यवहारिक पठन-पाठन की विधियाँ सिखाई गई थीं। अब यह मूल्यांकन किया जाएगा कि शिक्षक इन तकनीकों को कक्षा में कैसे लागू कर रहे हैं।

निरीक्षण के लिए नौ प्रमुख बिंदु तय किए गए हैं। इनमें चेतना सत्र की गतिविधियाँ, विषयवस्तु की गुणवत्ता, समय-सारणी का पालन, स्कूल भवन की स्थिति, परिसर की सफाई, छात्रों की संख्या के अनुसार बेंच-डेस्क की उपलब्धता, प्रयोगशाला और पुस्तकालय की स्थिति, खेल सामग्री की मौजूदगी, और टीएलएम-एफएलएन किट के उपयोग शामिल हैं।

इसके अलावा, बच्चों को दी गई नोटबुक और यूनिफॉर्म की स्थिति की भी जानकारी ली जाएगी। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बच्चों को सभी आवश्यक संसाधन समय पर और उचित तरीके से मिल रहे हैं या नहीं।

निरीक्षण पूरा होने के बाद, व्याख्याता अपनी रिपोर्ट शिक्षा विभाग और SCERT को सौंपेंगे। इस रिपोर्ट के आधार पर विभाग जरूरत पड़ने पर संबंधित शिक्षकों और स्कूल प्रशासन के विरुद्ध कार्रवाई भी कर सकता है। यह व्यवस्था शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के उद्देश्य से की जा रही है।