विशिष्ट शिक्षकों को नहीं मिली बढ़ी राशि, वेतन फिक्सेशन का कार्य लंबित

Aditya Raj August 28, 2025 03:12 PM IST

अरवल जिले में नियोजित शिक्षक से विशिष्ट शिक्षक होना अभिशाप साबित हो रहा है। विशिष्ट शिक्षकों को नियोजित शिक्षकों से तकरीबन 15 हजार कम वेतन प्राप्त हो रहा है। वेतन फिक्सेशन का कार्य लंबित होने से शिक्षकों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

- विशिष्ट शिक्षकों को नहीं मिली बढ़ी राशि - वेतन फिक्सेशन का कार्य लंबित होने से शिक्षकों को समस्या - अरवल जिले में नियोजित शिक्षक से विशिष्ट शिक्षक होना अभिशाप साबित हो रहा है - विशिष्ट शिक्षकों को नियोजित शिक्षकों से तकरीबन 15 हजार कम वेतन प्राप्त हो रहा है

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अरवल जिले में नियोजित शिक्षक से विशिष्ट शिक्षक होना अभिशाप साबित हो रहा है। यहां पिछले छः माह से विशिष्ट शिक्षकों को नियोजित शिक्षकों से तकरीबन 15 हजार कम वेतन प्राप्त हो रहा है। वर्ष 2024 में विशिष्ट शिक्षक की परीक्षा देकर सैकड़ों शिक्षक नियोजित से विशिष्ट शिक्षक के पद पर एक जनवरी दो हजार पच्चीस को योगदान किए थे।

उन्हें जनवरी से अभी तक प्रत्येक महीने तकरीबन साढ़े पैंतीस हजार रुपए मिल रहे हैं। वही साथी नियोजित शिक्षकों को पचास हजार से अधिक वेतन मिल रहा है। दिलचस्प बात यह है कि विशिष्ट शिक्षकों को दिसंबर 2024 में पचास हजार वेतन मिला था। उन्हें परीक्षा देकर विशिष्ट बनते ही अब पंद्रह हजार कम वेतन मिलने लगा है।

विशिष्ट शिक्षकों को देख अब लोग ताना मारने से भी नहीं चूक रहे कि परीक्षा देने के बाद सभी विभाग में वेतन बढ़ता है और अरवल जिले में वेतन एक चौथाई कम हो जाता है। मामला विशिष्ट शिक्षकों के वेतन फिक्सेशन का कार्य लंबित है। जबकि राज्य शिक्षा विभाग से एक माह पूर्व ही इस संबंध में अविलंब कार्य संपन्न करने का पत्र भेजा गया है।

पत्र में इस आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने का आदेश निर्गत है @pky इसके बावजूद शिक्षकों की समस्या जस की तस बनी हुई है। इधर कई शिक्षकों का दूसरे जिलों में स्थानांतरण तो कई प्रधान शिक्षक के पद पर योगदान कर चुके है। उन्हें सबसे ज्यादा समस्या का सामना करना पड़ेगा।

उन्हें इसी कार्य के लिए रोज रोज अरवल का चक्कर लगाना पड़ेगा। ऑनलाइन हाजरी योजना के कारण वैसे शिक्षकों को आकस्मिक अवकाश लेकर आना जाना पडेगा। इससे उनकी परेशानी और बढ़ जाएगी।

इस समस्या का समाधान जल्द से जल्द करने की आवश्यकता है ताकि विशिष्ट शिक्षकों को उनका हक मिल सके और वे अपने कार्यों को सुचारु रूप से कर सकें।