चिराग पासवान की रैली पर मांझी का तंज: 10 गाड़ियां नारेबाजों की, समय आने पर ताकत दिखाएंगे

Aditya Raj August 28, 2025 09:56 PM IST

एनडीए सहयोगी जीतनराम मांझी ने चिराग पासवान की आरा रैली पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भीड़ जुटाने के लिए केवल दिखावा किया गया। लोजपा (आर) नेता अरुण भारती ने मांझी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी।

  • जीतनराम मांझी ने चिराग पासवान की आरा रैली पर सवाल उठाए।
  • बोले- भीड़ बनावटी थी, सिर्फ दिखावे के लिए जुटाई गई।
  • मांझी ने कहा- वक्त आने पर अपनी ताकत दिखा देंगे।
  • अरुण भारती ने तीखा जवाब देते हुए कहा- चिराग को जनता का आशीर्वाद मिल रहा है।

पटना: एनडीए के वरिष्ठ नेता और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संस्थापक सह केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने एक बार फिर से बिना नाम लिए चिराग पासवान पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने लोजपा (रामविलास) द्वारा आरा में आयोजित रैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सिर्फ दिखावा था, जमीनी समर्थन नहीं।

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मांझी ने अपने बयान में कहा, "मुझे जानकारी मिली है कि किसी एक जगह से 20 गाड़ियां लेकर जाया गया। इनमें से 10 गाड़ियां सिर्फ नारे लगाने वालों की थीं, जिन्हें अलग-अलग जगहों पर भेजा गया, ताकि भीड़ दिखाई दे सके। यह राजनीतिक ड्रामा है, वास्तविक जन समर्थन इससे नहीं झलकता।"

उन्होंने आगे कहा कि हम अभी चुप हैं, लेकिन वक्त आने पर अपनी ताकत दिखा देंगे। यह स्पष्ट संकेत था कि आने वाले चुनावों या राजनीतिक मौके पर वे जवाब देंगे। मांझी का यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए लोजपा (आर) के प्रदेश प्रभारी और जमुई से सांसद अरुण भारती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर बयान जारी किया। उन्होंने लिखा कि यदि कुछ वरिष्ठ नेता चिराग जी की रैली की सफलता से असहज हो रहे हैं, तो वह भी हमारे लिए आशीर्वाद के समान है।

अरुण भारती ने अपने पोस्ट में लिखा, “संघर्षशील समाज के लोगों को मेहनत करनी पड़ती है। मजबूत लोग तिरस्कार करते हैं और आराम से बैठते हैं। 'जाकी रही भावना जैसी', इसलिए हम अपने रास्ते पर चलते रहेंगे।” उनका बयान चिराग की ओर से एक परोक्ष समर्थन के रूप में देखा जा रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एनडीए में अंदरूनी खींचतान अभी भी पूरी तरह शांत नहीं हुई है। जहां एक ओर चिराग पासवान जन समर्थन जुटाने में लगे हैं, वहीं दूसरी ओर जीतनराम मांझी जैसे वरिष्ठ नेता रणनीतिक बयानबाजी के जरिये अपने प्रभाव को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।